प्रयागराज लायंस क्लब इलाहाबाद अरूणिमा एवं हिन्दी विभाग, सी.एम.पी. डिग्री कालेज, प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दी पखवाड़ा के अन्तर्गत दिनांक सोमवार, 03 सितम्बर 2025 को डाॅ. प्यारेलाल प्रेक्षागृह, सी.एम.पी. डिग्री कालेज, प्रयागराज में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती जी की प्रतिमा तथा पर माल्यापर्ण के साथ हुआ। कार्यक्रम के प्रारम्भ में सम्मानित कवियों का स्वागत शाॅल, पुष्पगुच्छ एवं प्रतीक चिह्न प्रदान कर मुख्य अतिथि डाॅ. अर्पणधर दुबे मण्डलाध्यक्ष लायंस क्लब 321ई एवं अध्यक्षता कर रहे प्रो. अजय प्रकाश खरे प्राचार्य सी.एम.पी. डिग्री कालेज प्रयगाराज तथा विशिष्ट अतिथि डाॅ. एस. के. शुक्ला मण्डल ने किया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत डाॅ. सरोज सिंह, विभागाध्यक्ष हिन्दी, सी.एम.पी. डिग्री कालेज ने किया। मुख्य अतिथि डॉ अर्पणधर दुबे ने बताया कहा ‘प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योकि 14 सितम्बर के दिन ही संविधान सभा ने देवनागरी लिपि को भारत की अधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया था। 14 सितम्बर 1953 को पहला अधिरिक हिन्दी दिवस मनाया गया था।’ कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि अजय मालवीय (प्रयगाराज) तथा संचालन दिनेश पाण्डेय ‘नजर इलहाबादी’ ने किया। कवि सम्मेलन में डॉ. नीलिमा मिश्रा वरिष्ठ कवयित्री, प्रयागराज, राकेश मालवीय, वरिष्ठ कवि, प्रयागराज, डॉ वंदना शुक्ला, वरिष्ठ कवयित्री, प्रयागराज, मिस्बाह इलाहाबादी, युवा शायरा, प्रयागराज, शालिनी भास्कर, युवा रचनाकार, प्रयागराज ने काव्य पाठ किया। कवि सम्मेलन में कवियो ने कविता के सभी रसों से सराबोर किया तथा समाज की विसंगतियों पर प्रहार करते हुए कविताएँ सुनायी गयीं। विशेषकर सामाजिक सरोकारों से रुबरु होते हुए रचनाकारों ने रचनाओं में विविध रंग उड़ेले जिनका रसास्वादन करके श्रोता भाव विभोर हो गये। *समस्त रचनाकारों की पंक्तियां*
संस्कृत से हिन्दी हुई, तत्सम तद्भव जान।
मुखर प्रखर है सर्वदा, हम सबका अभिमान।।
*पंडित राकेश मालवीय मुस्कान*
तीर्थराज संगम की दोनों नदियां गंगा व कालिंदी हूं,
छोड़ो ये सब सुनो ध्यान से भारत भाषा मैं हिंदी हूं ।।
*दिनेश पाण्डेय ’नजर इलाहाबादी’*
प्रेम परिणय में बंधना ही नहीं है ।।
प्रेम का मतलब सातों जन्म संग रहना ही नहीं है।।
यह तो दिल से उठी दिलों तक की तरंगें हैं,
जिसे दो दिलों में संग - संग बहना ही है ।।
*शालिनी भास्कर*
हिंदी है मेरा नाम मैं उर्दू की सहेली।
तुलसी कबीर मीरा के आंगन में हूं खेली।।
*डॉ अजय मालवीय बहार ' इलाहाबादी*
अभी कविता कहानी छंद का कुछ सार बाकी है।
हमारी मातृभाषा का अभी श्रृंगार बाकी है ।
अभी तक राजभाषा का मिला सम्मान हिंदी को।
बने यह राष्ट्र भाषा बस यही सत्कार बाकी हैं ।।
*डॉ नीलिमा मिश्रा प्रयागराज*
मैं हिंदी की दीवानी हूं हमारी शान है हिंदी
हमारे देश भारतवर्ष की तो जान है हिंदी
कई भाषाएं करती हैं हमारे ज्ञान में वृद्धि
मगर हम भारतीयों की असल पहचान है हिंदी
*मिस्बाह इलाहाबादी*
गति जिन्दगी की यू ही नहीं मन्द कीजिये।
रजनी गंथा कमला ना पसंद कीजिये।
लत निकोटिन की तुम्हें रोगी बनाएगी
बिनती है जुबा केशरी को बंद कीजिए
*डॉ वंदना शुक्ला*
कार्यक्रम के अंत में लायंय क्लब इलाबाद अरूणिमा के सचिव लायन संतोष तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर डाॅ. अशोक द्विवेदी, वंदना दुबे, डाॅ. आभा त्रिपाठी, डॉ रत्नेश दीक्षित, आलोक मालवीय, डॉ संजय सिंह, प्रो दीनानाथ, डॉ.रामानुज यादव, डॉ रंजीत सिंह, सहित शोधार्थी एवं शहर के गणमान्य आदि उपस्थित रहे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Post Comments