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सोमवार, 1 सितंबर 2025

7 दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन शिव-पार्वती विवाह की निकाली गई जीवंत झांकी

7 दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन शिव-पार्वती विवाह की निकाली गई जीवंत झांकी, भक्तों ने किया विवाह का श्रवण

सैदपुर नगर के निजी मैरेज हाल में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के दूसरे दिन शिव-पार्वती के विवाह की मनोहारी झांकी निकाली गई। इस दौरान कथावाचक लालजी महराज ने कहा कि भागवत कथा के श्रवण से जीवन के हर कष्ट दूर होते हैं। इस दौरान भगवान कपिल का उपाख्यान, सति अनुसुइया का चरित्र व शिव पार्वती विवाह की झांकी निकाली गई और उनकी कथा का वर्णन किया। उन्होंने शिव पार्वती विवाह व शुकदेव जन्म की रोचक कथा का वर्णन करते हुए बताया कि हिमालय राज की कन्या पार्वती जब सयानी हुईं तो उन्होंने प्रण लिया कि वह शिव को पति के रूप में प्राप्त करेंगी। देवता भी शिवजी को मनाते हैं कि वह पार्वती से विवाह कर लें लेकिन शिवजी इसके लिए तैयार नहीं हुए। माता पार्वती शिव जी को प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या करती हैं। भगवान शिव प्रसन्न हो विवाह के लिए तैयार हो जाते हैं। देवताओं, भूत, पिशाचों को लेकर तन में भस्म लगाए शिव बारात लेकर हिमालयराज के यहां पहुंचते हैं। वहीं माता मैना दूल्हे का भेष देखकर डर जाती हैं और पार्वती का विवाह करने से मना कर देती हैं। जिसके बाद सभी ने समझाया कि शिव जी कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं बल्कि वो तो देवों के देव हैं। इसके बाद मां पार्वती और भगवान शिव का विवाह होता है और देवता पुष्पों की वर्षा करते हैं। अगले प्रसंग में भगवान शिव माता पार्वती को अमर कथा सुनाते हैं तो माता को नींद आ जाती है और उनकी जगह एक तोता हां-हां करने लगता है। जब शिव जी को पता चला तो उन्होंने शुक को मारने के लिए अपना त्रिशूल छोड़ दिया। जिसके बाद तीनों लोकों में भागता हुआ वो व्यास जी के आश्रम पहुंचा और उनकी पत्नी के मुख से गर्भाशय में पहुंच गया। जहां 12 वर्ष तक रहने व भगवान कृष्ण के आश्वासन के बाद जन्म लिया। आयोजक जय भारत आर्ट के सदस्य अजय पाठक ने बताया कि भागवत कथा के दौरान शिव-पार्वती के विवाह की जीवंत झांकी निकाली गई। बताया कि कथा रोजाना शाम 4 बजे से 7 बजे तक हो रही है। इस मौके पर अमन पाठक, रमेश प्रजापति, गोविन्द अग्रवाल आदि रहे।

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