अयोध्या, 21 अगस्त 2025। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की धरती पर आज एक ऐसा अध्याय जुड़ गया है, जो आने वाले वर्षों में न केवल पर्यावरण विज्ञान की दिशा बदलेगा बल्कि पूरे पूर्वांचल की सांसों को भी सुरक्षित करने का संकल्प लेता है। विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्राप्त हुए अत्याधुनिक यंत्र अब क्षेत्रीय स्तर पर वायु प्रदूषण का सटीक और वास्तविक आंकलन कर सकेंगे।
कुलपति कर्नल डॉ. बिजेंद्र सिंह के दूरदर्शी मार्गदर्शन और विभागाध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार चौधरी के नेतृत्व में यह परियोजना विश्वविद्यालय की शोध और प्रशिक्षण क्षमताओं को नई उड़ान देने वाली है। 50 लाख से अधिक लागत वाले आठ रेस्पिरेबल डस्ट सैंपलर (PM10), आठ PM₂.₅ सैंपलर तथा एक अति-संवेदनशील उच्च शुद्धता यंत्र अब विभाग की प्रयोगशालाओं को नई पहचान देंगे।
डॉ. चौधरी ने गर्व से बताया कि इन उपकरणों का ट्रायल रन सफलता पूर्वक पूरा कर लिया गया है और अब इन्हें अंबेडकर नगर, गोंडा, बहराइच और श्रावस्ती जिलों के चयनित स्थलों पर स्थापित किया जाएगा। इस कार्य के लिए शोध सहायक और फील्ड असिस्टेंट्स की नियुक्ति प्रक्रिया जारी है, जिन्हें प्रशिक्षित कर 1 सितम्बर से उपकरण संचालन का कार्य प्रारंभ होगा।
यह उपलब्धि केवल विश्वविद्यालय के लिए तकनीकी प्रगति का प्रतीक नहीं, बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति उसकी संवेदनशीलता का भी परिचायक है। जब जिलेवार स्तर पर वायु गुणवत्ता का रियल-टाइम डेटा उपलब्ध होगा, तब प्रदूषण स्रोतों की पहचान, नियंत्रण की रणनीति और जन-जागरूकता के नए आयाम खुलेंगे।
डॉ. चौधरी ने भावुक स्वर में कहा यह वह क्षण है जब किसी सरकारी एजेंसी का तकनीकी सहयोग हमारे विभाग तक पहुँचा है। इससे हमारे छात्र-शोधार्थी प्रयोगशाला तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि वास्तविक जीवन की परिस्थितियों में सीखते हुए भविष्य के सक्षम पर्यावरण वैज्ञानिक बनेंगे।
अवध विश्वविद्यालय का यह प्रयास केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि स्वच्छ हवा के अधिकार को सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया प्रेरणादायी कदम है। अयोध्या की पवित्र धरा से उठी यह पहल अब पूरे प्रदेश को नयी ऊर्जा और सुरक्षित वातावरण देने का संदेश बन चुकी है।
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