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सोमवार, 11 अगस्त 2025

हर घर तिरंगा : : सिनेमा के परदे पर स्वतंत्रता का महायज्ञ

     धीरेन्द्र ओझा, प्रधान महानिदेशक, पत्र सूचना कार्यालय

भारत के आकाश में तिरंगे की छांव तले आज एक नया सांस्कृतिक सूर्योदय हुआ। 11 से 13 अगस्त 2025 तक चलने वाला हर घर तिरंगा  देशभक्ति फिल्म महोत्सव न केवल सिनेमा का उत्सव है, बल्कि यह स्वतंत्रता की उस अनमोल यात्रा का पुनः स्मरण है, जिसे लाखों बलिदानों, अनगिनत संघर्षों और अडिग संकल्प ने गढ़ा।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (NFDC) के तत्वावधान में आयोजित यह तीन दिवसीय महोत्सव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "हर घर तिरंगा" अभियान की धड़कन को परदे पर उतारता है जहां हर फ्रेम, हर संवाद और हर दृश्य में देशभक्ति की लहर दौड़ती है।

दिल्ली में कला, संस्कृति एवं भाषा मंत्री कपिल मिश्रा ने उद्घाटन करते हुए कहा "सिनेमा में पीढ़ियों को प्रेरित करने और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को अमर करने की अद्भुत शक्ति है।" मुंबई में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू ने इसे "भारत की सांस्कृतिक विरासत और देशभक्ति का दृश्य महाकाव्य" बताया, वहीं अभिनेत्री श्रेया पिलगांवकर ने भावुक होकर कहा "ये फ़िल्में हमारे लोगों के साहस और लचीलेपन का जीवंत दस्तावेज़ हैं।"

चार शहर, एक भावना एक भारत : दिल्ली के सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम से लेकर मुंबई के राष्ट्रीय भारतीय सिनेमा संग्रहालय, चेन्नई के टैगोर फिल्म सेंटर से लेकर पुणे के भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार तक, उद्घाटन समारोहों ने एक ही सुर में गाया "वंदे मातरम्"।
चेन्नई में निर्देशक वसंत, अभिनेत्री नमिता, और कला मास्टर जैसे दिग्गजों ने देशभक्ति की कलात्मक अभिव्यक्ति को नया आयाम दिया, जबकि पुणे में दर्शकों ने अन्य शहरों के समारोह का सीधा प्रसारण देखकर साझा उत्सव की भावना को महसूस किया।

एनएफडीसी सिनेमा का प्रहरी, विरासत का रक्षक : 
दशकों से भारतीय सिनेमा के निर्माण, प्रचार और संरक्षण में अग्रणी एनएफडीसी ने इस महोत्सव को एक सांस्कृतिक सेतु में बदल दिया जहां भाषा, क्षेत्र और पीढ़ियां तिरंगे के रंगों में एकाकार हो जाती हैं।
यह केवल फिल्मों का प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक ऐसा संदेश है जो हर दर्शक के दिल में अंकित हो कि स्वतंत्रता की मशाल केवल विरासत नहीं, बल्कि जिम्मेदारी भी है।

इस महोत्सव की हर स्क्रीन पर जब रोशनी बिखरती है, तो वह केवल एक फिल्म शुरू नहीं करती वह भारत के गौरवशाली इतिहास, उसके शहीदों की अमर कहानियों और उसकी एकता के स्वप्न को पुनर्जीवित करती है।
और जब परदा गिरता है, तो दर्शक के दिल में एक ही वाक्य गूंजता है "मेरा तिरंगा, मेरी पहचान।" 

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