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सोमवार, 18 अगस्त 2025

जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने उच्च-प्रदर्शन जैव-विनिर्माण को बढ़ावा देने हेतु भारत के युवाओं को बायोई3 नीति लागू करने के लिए आमंत्रित किया

जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने उच्च-प्रदर्शन जैव-विनिर्माण को बढ़ावा देने हेतु भारत के युवाओं को बायोई3 नीति लागू करने के लिए आमंत्रित किया

मोहाली, 17 अगस्त: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अगस्त 2024 में उच्च-प्रदर्शन जैव-विनिर्माण को बढ़ावा देने हेतु बायोई3 नीति को मंज़ूरी दी थी – जिसका उद्देश्य नवाचार-आधारित अनुसंधान एवं विकास, उद्यमिता और तेज़ी से प्रौद्योगिकी व्यावसायीकरण को बढ़ावा देना है। इस नीति के तहत, औद्योगिक पैमाने के अनुप्रयोगों को बढ़ावा देने के लिए जैव-विनिर्माण और जैव-एआई केंद्र तथा जैव-फाउंड्री स्थापित की जाएँगी।

बायोई3 नीति मोटे तौर पर राष्ट्रीय महत्व के छह रणनीतिक क्षेत्रों पर केंद्रित है: उच्च-मूल्य वाले जैव-आधारित रसायन, बायोपॉलिमर, सक्रिय दवा सामग्री (API) और एंजाइम; स्मार्ट प्रोटीन और कार्यात्मक खाद्य पदार्थ; कोशिका और जीन थेरेपी, mRNA चिकित्सा और मोनोक्लोनल एंटीबॉडी सहित सटीक जैव-चिकित्सा; जलवायु-प्रतिरोधी कृषि; कार्बन कैप्चर और उपयोग; और समुद्री एवं अंतरिक्ष अनुसंधान।

जैव-विनिर्माण में जीवित कोशिकाओं और जीवों का उपयोग करके दवाओं, खाद्य पदार्थों, पेय पदार्थों और अन्य आवश्यक उत्पादों के लिए अणु और जैविक पदार्थ तैयार किए जाते हैं। यह नीति जीव विज्ञान के औद्योगीकरण के लिए एक स्पष्ट रोडमैप तैयार करती है, जिससे जलवायु परिवर्तन, खाद्य एवं पोषण सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य जैसी महत्वपूर्ण सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए टिकाऊ और चक्रीय उत्पादन प्रणालियाँ सक्षम होती हैं।

एक सुदृढ़ जैव-विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र का पोषण करके, बायोई3 जैव-आधारित उत्पादों के विकास हेतु अत्याधुनिक नवाचारों को गति प्रदान करेगा, जिससे भारत को जैव प्रौद्योगिकी में एक वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थापित करने में योगदान मिलेगा। यह ऐतिहासिक नीति अगले 25 वर्षों में जैव-प्रौद्योगिकी-संचालित जैव-क्रांति की शुरुआत करेगी और देश को विकसित भारत की ओर अग्रसर करेगी।

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