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सोमवार, 4 अगस्त 2025

वर्ष 1978 में गंगा और यमुना नदियों का जलस्‍तर सबसे अधिक बढ़ा था

प्रयागराज-गंगा-यमुना का जलस्‍तर बढ़ने से प्रयागराज में हर वर्ष ही बाढ़ आती है,,कई वर्षों में एक बार दोनों नदियों का पानी खतरे के निशान से भी ऊपर पहुंच जाता है,,इससे बाढ़ की विभीषिका भी नजर आती है। हालांकि प्रयागराज (पुराना नाम इलाहाबाद) में अब तक वर्ष 1978 में गंगा और यमुना नदियों का जलस्‍तर सर्वाधिक बढ़ा था,,आइए आपको बताते हैं कि उस समय जलस्‍तर कहां तक पहुंचा था! प्रशासन ने बाढ़ की विभीषिका से शहरवासियों को बचा लिया था प्रयागराज के पुराने ला्ेगों यानी उस बाढ़ के दौरान जिन्‍होंने यह नजारा देखा था, उन्‍हें आज भी इसकी चर्चा करके दहशतज़दा हो जाते हैं,,1978 में गंगा और यमुना के पानी ने वास्‍तव में लोगों को दहला दिया था,,जिला प्रशासन के भी पसीने छूट गए थे,,उस समय त्रिवेणी बांध की ऊंचाई भी इतनी नहीं थी, जिससे शहर में पानी घुसने की आशंका उत्‍पंन हो गई थी,,हालांकि जिलाधिकारी भूरे लाल जी और जिला प्रशासन की सूझबूझ से प्रयागराज जलमग्न होने से बच गया था,, डीएम भूरे लाल स्वयं पुराने जमुना पुल पर बालू की बोरियां रख रहे थे और उनके साथ थी छात्रावासों से निकली छात्रों की फौज 1978 में जिस समय प्रयागराज में बाढ़ आई थी, उस समय टीवी या न्‍यूज चैनल नहीं होते थे। दूरदर्शन भी यदा-कदा किसी-किसी घरों में होता था,,रेडियो का जमाना था,,रेडियो पर बाढ़ की खबर सुनने लोग कान लगाए रहते थे,,पल-पल की खबर पर नजर रखते थे!

1978 में गंगा-यमुना का जलस्‍तर क्‍या था

खतरे का निशान 84.73 मीटर
फाफामऊ में गंगा 87.98 मीटर
छतनाग में गंगा 88.03 मीटर
नैनी में यमुना 87.98 मीटर पर पहुंची थी!!

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