🔘 तबले की थाप पर सजे संस्कारों के सुर, लखीमपुर में संगीतमयी कार्यशाला का हुआ भावपूर्ण समापन
लखीमपुर खीरी। संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ एवं ताल वाद्य अकादमी, लखीमपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तबला वादन कार्यशाला का भव्य समापन बीती 29 जून 2025 को पूरे हर्षोल्लास एवं सांगीतिक सुरों के संग संपन्न हुआ। यह कार्यशाला न केवल एक प्रशिक्षण कार्यक्रम थी, अपितु संस्कार, समर्पण और साधना का सेतु बनकर उभरी, जिसने संगीत साधकों के अंतर्मन को नई चेतना से प्रकाशवान किया।
कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. रुचि रानी गुप्ता ने बताया कि इस दिवसीय कार्यशाला में 64 प्रतिभागियों ने अपनी सहभागिता सुनिश्चित की, जिनमें नन्हें बालक से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक ने तबले की थापों में लयबद्ध होकर रियाज़ किया। प्रत्येक दिन चार-चार घंटे के सत्र चलाए गए, सुबह 8 बजे से 12 बजे तक चार बैचों में प्रशिक्षण दिया गया, जिससे प्रतिभागियों को गहराई से समझ और अभ्यास का अवसर मिला। विशेष बात यह रही कि प्रतिभागियों की प्रस्तुतियों को वरिष्ठ तबला विशेषज्ञों द्वारा वर्चुअल माध्यम से देखा-सुना गया, जिसकी उन्होंने भरपूर सराहना की।
समापन अवसर पर प्रतिभागियों की प्रस्तुतियां देखकर स्पष्ट हुआ कि संगीत को यदि श्रद्धा और सच्चे अभ्यास के साथ साधा जाए तो हर आयु का व्यक्ति कलाकार बन सकता है। डॉ. रुचि रानी गुप्ता ने इस कार्यक्रम की सफलता का श्रेय अपने शोध निर्देशक एवं संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष प्रो. जयंत खोत, निदेशक शोभित नाहर तथा अपने तबला गुरुओं की प्रेरणा को देते हुए कहा तबला केवल एक वाद्य नहीं, यह आत्मा की साधना है और इस कार्यशाला ने यह सिद्ध कर दिया कि जब सीखने की जिज्ञासा हो, तो लय और ताल उम्र की सीमाएं लांघ जाते हैं। कुलमिलाकर यह आयोजन लखीमपुर खीरी की सांस्कृतिक धरती पर एक स्मरणीय संगीत अध्याय बनकर उभरा, जिसने खीरी जनपद को भारतीय संगीत की गहराइयों से जोड़ने का पुण्य कार्य किया।
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