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बुधवार, 9 जुलाई 2025

"मोदी युग में भारत का रक्षा क्षेत्र: आत्मनिर्भरता की ओर ऐतिहासिक छलांग"

✍️ अनूप सिंह संरक्षक दैनिक जनजागरण न्यूज़ की कलम से

"मोदी ने दस सालों में क्या किया जो कांग्रेस साठ साल में न कर सकी?"
यह सवाल केवल राजनीतिक विमर्श नहीं, बल्कि आधुनिक भारत के आत्मविश्वास की गूंज है। विशेषकर जब हम भारत के रक्षा क्षेत्र की यात्रा को देखें — तो यह अंतर केवल आंकड़ों का नहीं, बल्कि सोच, दृष्टि और राष्ट्र की आत्मा का अंतर है।

2014 से पहले का भारत:

कांग्रेस युग में भारत का रक्षा ढांचा मुख्यतः कुछ बड़े सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) पर टिका था। HAL, BEL, BDL, MDL जैसी कंपनियाँ ही मुख्य निर्माता थीं। निजी कंपनियों की भागीदारी नाममात्र की थी और रक्षा उत्पादन पर विदेशी आयात की निर्भरता लगभग 65% से अधिक थी। रक्षा तकनीक के मामले में भारत को बार-बार विदेशी दरवाज़े खटखटाने पड़ते थे। स्वदेशी उत्पादन का हिस्सा बजट का मात्र एक तिहाई था।

हालांकि, देश के पास प्रतिभा की कमी नहीं थी — कमी थी तो दृष्टिकोण, नीति और नेतृत्व की। MSMEs और स्टार्टअप्स जैसी इकाइयाँ दरकिनार थीं, और 'Made in India' की भावना रक्षा क्षेत्र में अनुपस्थित।

2014 के बाद भारत: एक दृष्टिकोण का उदय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब 2014 में "मेक इन इंडिया" अभियान की शुरुआत हुई, तो यह महज़ एक नारा नहीं, बल्कि रक्षा नीति का मार्गदर्शक बन गया।

सरकार ने FDI की सीमा बढ़ाई, ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड को पुनर्गठित किया, और निजी क्षेत्र एवं स्टार्टअप्स को खुला मैदान दिया। इसके साथ ही ड्रोन तकनीक, साइबर डिफेंस, एआई समाधान और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में युवाओं के लिए नए द्वार खुले।

आज, 200 से अधिक निजी कंपनियाँ, 100+ स्टार्टअप्स और 10,000+ MSMEs रक्षा क्षेत्र में सक्रिय हैं। HAL के तेजस, DRDO के ब्रह्मोस से लेकर INS विक्रांत जैसे विमानवाहक पोत — ये केवल सैन्य संपत्ति नहीं, नवभारत की पहचान हैं।

आँकड़े जो गवाही देते हैं:

• रक्षा उत्पादन: ₹35,000 करोड़ (2014) → ₹1.27 लाख करोड़ (2025)
• निर्यात: ₹1,000 करोड़ (2014) → ₹23,622 करोड़ (2025)
• स्वदेशी उत्पादन: 30% → 70%
• निजी कंपनियाँ: 50-60 → 200+
• MSMEs: 6,000-8,000 → 10,000+
• स्टार्टअप्स: नाममात्र → 100+

एक सोच की क्रांति

मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि केवल उत्पादन या तकनीक में वृद्धि नहीं है, बल्कि यह है कि उसने भारत को आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया — एक मानसिकता का पुनर्जागरण किया, जिसमें अब कोई जवान, कोई वैज्ञानिक यह नहीं सोचता कि 'हम नहीं कर सकते'।

आज भारत सिर्फ अपने लिए नहीं बना रहा — वो दुनिया को दे भी रहा है। भारत अब मांग करने वाला देश नहीं, बल्कि प्रदर्शन और नेतृत्व करने वाला राष्ट्र बन चुका है।

निष्कर्ष: जहाँ एक ओर साठ वर्षों में रक्षा क्षेत्र 'संभावनाओं' में उलझा रहा, वहीं मोदी के दस वर्षों ने 'सफलताओं' की इबारत लिखी।

यह परिवर्तन केवल हथियारों का नहीं, बल्कि आत्मविश्वास का है। यही कारण है कि जब हम पूछते हैं "मोदी ने क्या किया?" — तो उत्तर सीमा पार आवाज़ बनकर गूंजता है:

"मोदी ने भारत को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाया!"

– अनूप सिंह, दैनिक जनजागरण न्यूज़

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