प्रयागराज। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार हर वार किसी न किसी देवी या देवता को समर्पित होता है। ज्योतिष में वार का संबंध ग्रहों से भी होता है ऐसे माना जाता है कि ग्रहों के कारकत्व का असर हर दिन होता है। सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा-उपासना के लिए बहुत ही श्रेष्ठ और मंगलकारी होता है। इस दिन शिवजी की उपासना के लिए विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। सोमवार के दिन मंदिर में भगवान शिव की उपासना और दर्शन करने से विशेष कृपा मिलती है। साथ ही इस दिन जलाभिषेक, मंत्रों का जाप और व्रत रखते हुए शिवजी वंदना करने का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं सोमवार व्रत का महत्व और पूजा-विधि।
सोमवार के दिन उपाय
सोमवार के दिन चंद्रदेव से जुड़े कुछ उपायों को करने बहुत लाभ मिलता है। सोमवार के दिन गरीबों और असहायों को सफेद चीजों का दान करना चाहिए। साथ ही दिन हो सके तो कई बार “ॐ सोम सोमाय नमः” का जाप भी करें।मानसिक परेशानियों से मुक्ति के लिए सोमवार की रात को चांद के दर्शन करते हुए तांबे के लोटे में जल भरकर दूध और सफेद मिठाई भोग में लगाएं।
अगर घर में परिवार के सदस्यों के बीच लड़ाई-झगड़े आदि चल रहे हो तो इस परेशानी से निपटने में पूजा स्थल पर चंद्र यंत्र रखे और रोजाना पूजा करें।
सोमवार के दिन व्रत रखें और शिवलिंग पर जल, दूध, और बिल्वपत्र चढ़ाएं। विशेष रूप से चांदी के शिवलिंग का अभिषेक चंद्र दोष को शांत करने में अति प्रभावी है। शिव पूजा के दौरान “ॐ नमः शिवाय ” मंत्र का जाप करें।
सोमवार को सफेद कपड़े पहनें और चंद्र दोष से संबंधित मोती रत्न धारण करें।
चंद्र बीज मंत्र “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः” का 108 बार जाप करें।
सोमवार व्रत का महत्व
सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। साथ ही इस दिन मन के कारक ग्रह चंद्रमा भी होता है। इस दिन भगवान शिव की उपासना और सोमवार व्रत रखने का विशेष महत्व होता है। सोमवार व्रत केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और मानसिक शांति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए माता पार्वती ने कठोर तपस्या की थी और सोमवार के दिन विशेष व्रत का पालन किया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। इसी कारण यह व्रत विशेष रूप से विवाह योग्य कन्याओं के लिए शुभ माना जाता है।
पूजा विधि
सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा विशेष विधि से करनी चाहिए।
प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
व्रत का संकल्प लेकर घर के पूजा स्थल या किसी शिव मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग की विधिपूर्वक पूजा करें।
जल, दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें।
शुद्ध जल से पुनः स्नान कराएं और बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, अक्षत (साबुत चावल) और भस्म अर्पित करें।
भगवान शिव को सफेद वस्त्र, भांग और प्रसाद में मिठाई अर्पित करें। धूप और दीप जलाकर भगवान शिव की आरती करें और ‘ॐ नमः शिवाय’ तथा महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
शिव कथा का श्रवण और पाठ करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है। साथ ही इस दिन शिव चालीसा और रुद्राष्टकम का पाठ भी करना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Post Comments