करारी थाना प्रभारी विनीत सिंह पर लग रहे कई गंभीर आरोप, नियम विरुद्ध गिरफ्तारी,मौलिक अधिकार उल्लंघन,और अवैध वसूली के लिए लोगों का उत्पीड़न, जांच की हुई मांग तेज ,कानून का दुरुपयोग,जहां भी रहे विवादों में रहे हमेशा,अब तक 26 करोड़ की वसूली की भी चर्चा
कौशांबी जनपद कौशांबी में तैनात थाना करारी के प्रभारी निरीक्षक विनीत सिंह पर लगातार गंभीर आरोप सामने आ रहे हैं। क्षेत्रीय जनता ने विभागीय उच्च अधिकारियों और एडीजी डीजीपी और आईजी का ध्यान आकृष्ट कराकर जांच की मांग की है। विनीत सिंह द्वारा अपने कार्यकाल में कानून की खुलकर अवहेलना किया जा रहा हैं। उनके खिलाफ नियम विरुद्ध गिरफ्तारी, तानाशाही रवैया, मानवाधिकार हनन और मौलिक अधिकारों का हनन सहित बड़े पैमाने पर अवैध वसूली जैसे संगीन आरोप लगते रहे हैं।
लोगो के अनुसार, विनीत सिंह जब से जनपद कौशांबी में तैनात हुए हैं, तब से तत्कालीन पुलिस अधीक्षक बृजेश श्रीवास्तव के संरक्षण में पहले उन्हें पिपरी फिर वहां से थाना सराय अकिल में वर्षों तक प्रभारी निरीक्षक बनाए रखा गया है , जहां इनके कार्यकाल में कई गंभीर अपराध हुए। इसके बावजूद न तो इन्हें हटाया गया और न ही इनके खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई की गई। बाद में इनकी तैनाती थाना करारी में कर दी गई, जहां इनके तानाशाही रवैये के कारण आम जनता भय और असहाय की स्थिति में है।लोगो ने यह भी आरोप लगाया गया है कि थाना करारी में तैनाती के बाद विनीत सिंह द्वारा आम नागरिकों को बिना किसी वैध कानूनी प्रक्रिया के गिरफ्तार कर कई-कई दिनों तक थाने में अवैध रूप से बंद रखा जाता है। आरोप है कि जब तक पीड़ित पक्ष से अवैध वसूली नहीं होती, तब तक उन्हें छोड़ा नहीं जाता। इस प्रक्रिया में लोगों के मौलिक अधिकारों का खुला हनन किया जाता है। कई मामलों में गिरफ्तार लोगों का मौके पर अरेस्ट मेमो भी नहीं भरा जाता, जो कि बीएनएस की धारा 35 सी का सीधा उल्लंघन है। करारी पुलिस आर्टिकल 21 और 22 का खुला उल्लंघन करती है।
इनकी दो प्रमुख मामलों का भी उल्लेख है,शिकायत हुई है । पहला मामला रमेश मौर्य निवासी रक्सवारा का है, जिसे 8 दिनों तक थाने में अवैध रूप से बंद रखा गया था। इस दौरान रमेश मौर्य की GPS लोकेशन, फोटो 7 मार्च वीडियो वायरल हुए है । ट्वीटर में शिकायत हुई तो झूठा जवाब दिया गया फरार बताया गया । उसकी पत्नी ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को 6 मार्च को शिकायत पत्र भी दिया था, लेकिन उस शिकायत को भी झूठी रिपोर्ट लगाकर दबा दिया गया बाद में मामल हाइलाइट हुआ तो 8 मार्चा को चालान कर दिया गया है । दूसरा मामला वैशकांटी निवासी दुर्योधन का है, जिसे पुलिस ने घर से उठाकर 3 दिनों तक थाने में रखा और बाद में 151 में चालान कर दिया। रमेश को उसकी पत्नी लगातार खाना 8 दिन थाने में देने जाती थी ,एक उसका gps लगा वीडियो बन जाने के बाद खुलासा हुआ है,जिसे दबाने का प्रयास किया जा रहा है ।इलाके में चर्चा तो यह भी है कि विनीत सिंह ने अपने कार्यकाल में सराय अकिल क्षेत्र में लगभग 26 करोड़ रुपये की अवैध वसूली की है, जिसमें बड़ा हिस्सा कथित रूप से उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया गया है । यही वजह है कि वर्षों से उन्हें जनपद में थाना प्रभारी पद से हटाया नहीं गया है और इनकी हर शिकायत नजर अंदाज होती थी । थाना प्रभारी इलाके में भौकाल बनाकर यह भी कहते फिरते हैं कि यदि कोई पत्रकार उनके काले कारनामों को उजागर करेगा तो, उस पर मुकदमा लिखकर जेल भिजवाने का काम करेंगे । उनकी शासन सत्ता और न्यायपालिका में भी ऊंची पहुच है की कोई अधिकारी कुछ नहीं करेगा ,जब से जिले में आए है तब से कोई भी उनका शिकायत बाद भी कुछ नहीं कर सका है लगातार थाना के चार्ज पर बने रहे है,यह एक बाद सवाल है ।लोगो ने मांग की है कि करारी थाना और पूर्व में सराय अकिल थाना के CCTV कैमरों के फुटेज की तकनीकी जांच कराई जाए, ताकि अवैध हिरासत के साक्ष्य सामने आ सकें। साथ ही उन्होंने उच्च स्तरीय स्वतंत्र जांच एजेंसी से निष्पक्ष जांच कराते हुए थाना प्रभारी विनीत सिंह को तत्काल पद से हटाने और कड़ी विभागीय कार्रवाई करने की मांग की है।
यह मामला अब जनपद में चर्चा का विषय बन गया है। क्षेत्रीय नागरिकों ने भी इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
सूत्रों के अनुसार, विनीत सिंह लंबे समय तक प्रयागराज जनपद में तैनात रहे। करनलगंज थाने में तैनाती के दौरान उनके विवादित कार्यों के चलते तत्कालीन डीआईजी प्रयागराज ने उन्हें लाइन हाजिर कर दिया था। बताया जाता है कि वे काफी समय तक पुलिस लाइन में रहे और बाद में सिफारिश व जुगाड़ के सहारे कौशांबी स्थानांतरित हो गए। यह मामला वर्ष 2021 का है। लोगों का कहना है कि वे सुबह से ही टुल्ल हो जाते थे और आक्रामक मूड में रहते थे और अक्सर अभद्रता करते थे। उनकी कार्यशैली हमेशा विवादों और सुर्खियों में रही है।सूत्र तो यह भी बताते हैं कि सही जो पीड़ित व्यक्ति है उनका मुकदमा लिखा नहीं जाता है ,कई दिनों तक पीड़ित दौड़ता रहता है । जब तक दलालों के माध्यम से सौदेबाजी नहीं हो जाती है तब तक मुकदमा नहीं लिखा जाता है और झूठे मुकदमा लिखकर सिर्फ धन उगाही की जाती है जिससे क्षेत्र की जनता त्रस्त है ।
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