एफटीआईआई और महाराष्ट्र सरकार का ऐतिहासिक समझौता
अब हर गांव का युवा भी बन सकेगा ‘कैमरे के पीछे का सितारा’
मुंबई। भारत की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले महाराष्ट्र ने रचनात्मकता और तकनीक के संगम से भविष्य की नई पटकथा लिख दी है। पुणे स्थित प्रतिष्ठित भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) और महाराष्ट्र फिल्म, रंगमंच एवं सांस्कृतिक विकास निगम लिमिटेड (एमएफएससीडीसीएल) ने आज एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जो न केवल फिल्म और मीडिया के क्षेत्र में क्रांति लाएगा, बल्कि सपनों को पहचान और रोजगार भी देगा।
इस अवसर पर महाराष्ट्र की धरती पर संवेदनाओं और संभावनाओं का संगम देखा गया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस, सांस्कृतिक मामलों के मंत्री एडवोकेट आशीष शेलार, एफटीआईआई के अध्यक्ष आर. माधवन, अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खड़गे, एमएफएससीडीसीएल की प्रबंध निदेशक स्वाति म्हसे पाटिल और एफटीआईआई के कुलपति श्री धीरज सिंह की गरिमामयी उपस्थिति में इस पहल की नींव रखी गई।
हर गांव से उठेगी एक कहानी... हर कोना बनेगा सिने-शिविर
मुख्यमंत्री श्री फड़नवीस ने इस समझौते को "रचनात्मक भारत के नवयुग की शुरुआत" बताया। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे दुनिया डिजिटल होती जा रही है, भारत के छोटे कस्बों और गांवों से कहानीकार, फिल्मकार और कंटेंट क्रिएटर उभर रहे हैं। "यह समझौता उन्हें मंच देगा, औपचारिक प्रशिक्षण देगा और सपनों को पंख देगा," उनके शब्दों में आत्मविश्वास झलकता था।
एफटीआईआई के अध्यक्ष श्री आर. माधवन ने भावनाओं की गहराई में उतरते हुए कहा, "अब कोई सपना छोटा नहीं होगा, और कोई प्रतिभा गुमनाम नहीं रहेगी। भारत के छोटे शहरों की आवाज़ें अब वैश्विक मंच पर गूंजेंगी।"
गोरेगांव से कर्जत तक – अब जहां मंच, वहां मौका
सांस्कृतिक मामलों और आईटी मंत्री एडवोकेट आशीष शेलार ने बताया कि गोरेगांव, कोल्हापुर, प्रभादेवी और कर्जत में संचालित एमएफएससीडीसीएल के केंद्रों पर इन पाठ्यक्रमों का संचालन किया जाएगा, जिससे ग्रामीण महाराष्ट्र के युवाओं को उद्योग से जोड़ने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का अवसर मिलेगा।
डबिंग, छायांकन, डिजिटल प्रोडक्शन, एआई आधारित एडिटिंग, वॉयसओवर, स्क्रिप्ट राइटिंग जैसे विविध कोर्स अब उन तक पहुंचेंगे, जिनके पास प्रतिभा तो थी, पर मंच नहीं।
ऑरेंज इकोनॉमी की रफ्तार और सांस्कृतिक समावेशन का सपना
यह समझौता सिर्फ प्रशिक्षण नहीं, बल्कि एक समर्पित पारिस्थितिकी तंत्र की रचना है। एफटीआईआई की शैक्षणिक गहराई और एमएफएससीडीसीएल के संसाधनों की चौड़ाई मिलकर एक ऐसा मंच तैयार करेंगे, जहां न केवल कौशल विकास होगा, बल्कि उद्यमिता, इनक्यूबेशन और स्थानीय संस्कृति की वैश्विक प्रस्तुति को भी बल मिलेगा।
अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री विकास खड़गे ने रोडमैप स्पष्ट करते हुए कहा, "हम ऐसे पाठ्यक्रमों की योजना बना रहे हैं, जो छात्रों को करियर के लिए न केवल तैयार करें, बल्कि उन्हें संस्कृति और तकनीक के मेल से सशक्त भी बनाएं।"
कलाकारों का कल अब उज्ज्वल है
यह समझौता न केवल एक कागज़ी करार है, बल्कि सपनों को साकार करने का संकल्प है। यह एक प्रयास है कि कोई बालक, जो मोबाइल से वीडियो बनाता है, या कोई किशोरी, जो अपनी आवाज़ में जान डाल सकती है वह अब बिना पहचान के न रहे।
यह भारत की उस रचनात्मक चेतना को प्रणाम है, जो गांव की गलियों से निकलकर वैश्विक मंच पर चमकना चाहती है।
रिपोर्ट दैनिक जनजागरण न्यूज : जहां शिक्षा, प्रशिक्षण और प्रेरणा मिले, वहां ही संस्कृति का सृजन होता है। और जब सरकारें और संस्थान मिलकर यह सृजन करें, तब इतिहास बनता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Post Comments