लखीमपुर खीरी, काशी नगर। साहित्य साधक सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थान की जून माह की मासिक काव्य गोष्ठी एवं सम्मान समारोह में शब्दों का अनुपम उत्सव साकार हुआ। यह साहित्यिक संध्या संस्थान की जिलाध्यक्ष डॉ. स्वाति पांडेय "प्रीत" के काशीनगर स्थित आवास पर संपन्न हुई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र तिवारी 'कंटक' ने की, जबकि हास्य रस के पुरोधा कमलेश धुरंधर विशिष्ट अतिथि रहे। संचालन की बागडोर संभाली शायर जनार्दन पाण्डेय 'नाचीज' ने, जिनकी भाषा और शैली ने वातावरण को जीवंत बनाए रखा। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार संजीव मिश्र 'व्योम' को संस्था के मासिक 'साहित्य साधक अर्श सम्मान' से अलंकृत किया गया। श्री व्योम की प्रस्तुति "दुख तुम दुखी मत होना... ने भावनाओं को स्वर दिया और श्रोताओं को गहराई से छू लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना के साथ हुआ। कंटक जी की मधुर वाणी वंदना के उपरांत मंच पर एक से एक रचनाकारों ने अपनी काव्य प्रतिभा से समां बांधा कमलेश धुरंधर की पंक्ति कविता है तो आज जिंदा है..., स्वाति पांडेय 'प्रीत' की पिता को समर्पित भावपूर्ण छंद, राजेन्द्र तिवारी 'कंटक' का सुमधुर गीत "मेटी आंखों से जब दूर तुम हो गए...", और जनार्दन पाण्डेय 'नाचीज' की गूढ़ पंक्तियां "दुनिया में सब छोड़ तप करने के बाद मिले...", श्रोताओं की स्मृतियों में गूंजती रहीं। अन्य रचनाकारों में महेश जायसवाल ने मोबाइल संस्कृति पर व्यंग्य कसा, डॉ. आलोक मिश्रा ने श्रृंगार गीत से मन मोहा, अनूप त्रिपाठी ने ओजस्विता से भरी पंक्तियाँ "हम भारत के वंशज हैं यारों..." प्रस्तुत कीं, और कुलदीप समर ने ओजस्वी काव्य से जोश भर दिया। गोष्ठी के अंत में राजेन्द्र तिवारी 'कंटक' ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में सभी कवियों की प्रस्तुतियों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए इस तरह के आयोजनों को साहित्य का जीवंत उत्सव बताया। इस अवसर पर अक्षरा पांडेय, राम टहल वर्मा, नरेश वर्मा, डी.एन. मालपानी, अमित पाण्डेय, दिव्या गुप्ता सहित अनेक गणमान्य साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे। अंत में संस्था की ओर से डॉ. रघुनंदन ओझा ने सभी आगंतुकों एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।
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