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सोमवार, 9 जून 2025

कोरोना हो या केरल की बाढ़, आरएसए स्वयंसेवकों ने अपनी जान गंवाकर बचाई लोगों की जान

कोरोना हो या केरल की बाढ़, आरएसए स्वयंसेवकों ने अपनी जान गंवाकर बचाई लोगों की जान, यहां हर कोई है एक समान - रामलाल

गाजीपुर ‘दुनिया ताकत की सुनती है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत को लगातार ताकतवर बना रहा है। हमारी सेनाओं ने आतंकी कैम्पों को नष्ट कर भारत की पूरे विश्व में धाक जमाई है।’ उक्त बातें बतौर मुख्य वक्ता आरएसएस के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल ने बोरसिया स्थित सत्यदेव डिग्री कॉलेज में आरएसएस के काशी प्रान्त के 15 दिवसीय संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में कहीं। कहा कि भारत की सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषा है। भाषा, प्रान्त, जाति के झगड़े होते हैं लेकिन ये झगड़े शाखा से समाप्त होंगे। कहा कि संघ में छुआछूत, अगड़ा-पिछड़ा जैसा कुछ नहीं है। यहाँ सब एक साथ भोजन करते और कराते हैं। यहां कोई किसी की जाति नहीं पूछता। नागपुर में कार्यकर्ता विकास वर्ग द्वितीय (तृतीय वर्ष) लगता है। यहाँ देशभर के अलग-अलग प्रान्तों से स्वयंसेवक एवं शिक्षक आते है। कई प्रशिक्षु ऐसे हैं, जो घर से लड़कर प्रशिक्षण लेने आते हैं। कहा कि संघ का उद्देश्य है सामूहिकता। स्वयंसेवक बिना स्वार्थ के सेवा करते है। कोरोना काल में जब समाज पर संकट आया तो 5 लाख स्वयंसेवक सहायता में जुट गए। उस वक्त भी किसी ने किसी की जाति, धर्म या पंथ नही पूछा। कहा कि केरल में जब बाढ़ आई तो उस वक्त भी स्वयंसेवक बचाव में जुट गए और उस बाढ़ में सहायता कर रहे आरएसएस के भी 4 स्वयंसेवकों की जान चली गई। कहा कि लोग संघ के विरोधी हो सकते हैं लेकिन संघ किसी का विरोधी नहीं है। श्री रामजन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा का उदाहरण देते हुए कहा कि प्राण प्रतिष्ठा में मंदिर ट्रस्ट से जुड़े लोगों ने सभी को आमंत्रित किया। कहा कि कुछ लोग स्वार्थवश हिन्दू संगठनों को कम्युनल कहते है। हिन्दू में हिन्दू कहीं नही लड़ रहा है और न ही कोई हिन्दू से लड़ रहा। कहा कि हम वसुधैव कुटुम्बकम की बात करते हैं। कहा कि यह हिन्दू राष्ट्र है, इसलिए बनाने की जरूरत ही नहीं है। इसके मूल में ही हिन्दू विराजमान है। उन्हें संघ के पंच परिवर्तन कुटुंब प्रबोधन, समरसता, पर्यावरण, स्वदेशी और नागरिक कर्तव्य की भी बात की। कहा कि संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार ने सोच विचार कर जब संगठन शुरू किया तो हिन्दू समाज बिखरा था। राष्ट्रभक्ति बिना स्वतंत्रता संभव नहीं थी। डॉ हेडगेवार स्वतंत्रता से पहले और स्वतंत्रता के बाद कई बार जेल गए। बतौर मुख्य अतिथि भवानीनन्दन यति ने कहा कि प्रचारक रूपी संतों ने अपना जीवन भारत माता को समर्पित किया है। कहा कि उठो जागो और राष्ट्र निर्माण में लगो, इसके लिए ही मेरा जन्म हुआ है। कहा कि जीवन सार्थक तब तक नहीं होता, जब तक ध्येय की पूर्ति न हो। कहा कि गोमुख से निकलने वाली गंगा जब तक गंगासागर न पहुँच जाए तब तक सार्थक नहीं होता। कहा कि मेरा मन कह रहा है राम का राष्ट्र प्रेम वापस आने वाला है, भारत बदल रहा है। शिविर में वर्ग में प्रशिक्षण ले चुके स्वयंसेवकों द्वारा दण्ड, नियुद्ध, पदविन्यास, सामूहिक समता, व्यायाम योग, आसन इत्यादि शारीरिक प्रधान कार्यक्रम किए गए। कार्यक्रम में पूर्ण गणवेश में घोष वादन कर रहे स्वयंसेवक आकर्षण का केन्द्र बने रहे। संघ शिक्षा वर्ग के वर्ग कार्यवाह दीपनारायण द्वारा वर्ग प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। बताया कि काशी प्रांत के 27 जिलों से 270 शिक्षार्थी आए। सभी ने अपना शुल्क, मार्ग व्यय एवं गणवेश स्वयं अपने खर्च से पूरा किया। इस मौके पर सर्वाधिकारी मालकियत सिंह बाजवा, प्रान्त संघचालक अंगराज, नागेंद्र, प्रान्त प्रचारक रमेश, सह प्रान्त कार्यवाह राकेश, प्रान्त प्रचारक प्रमुख रामचंद्र, विभाग प्रचारक अजीत, विभाग संघचालक सच्चिदानंद, जिला संघचालक जयप्रकाश आदि रहे। संयोजन मुख्य शिक्षक दीपक व मुख्य शिक्षक राजेश ने किया। प्रान्त कार्यवाह मुरली पाल ने वर्ग पालक का दायित्व निभाया। आभार अशोक राय ने ज्ञापित किया।

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