लखीमपुर, 28 मई 2025, दैनिक जनजागरण न्यूज। जब हिमालय की बर्फीली चोटियों पर जीवन की सांसें थमने लगती हैं, तब भी कुछ सपूत ऐसे होते हैं, जो मौत से आंख मिलाकर कह उठते हैं, "मैं अभी ज़िंदा हूँ, क्योंकि मेरा देश मुझसे जीवित उम्मीदें रखता है।" ऐसे ही एक सपूत हैं लेफ्टिनेंट कर्नल प्रियंक पुरी, जिनके अदम्य साहस और राष्ट्रप्रेम को आज खत्री वूमेंस फाउंडेशन ने श्रद्धा और गौरव के साथ सम्मानित किया। यह सिर्फ एक सम्मान समारोह नहीं था, यह उस क्षण का साक्षी था, जब एक सैनिक के शौर्य को समाज की मातृशक्ति ने श्रद्धा-सुमन अर्पित किए।
लेह-लद्दाख की बर्फीली वीरानियों में, 19,270 फीट की ऊंचाई पर, जीवन और मृत्यु की होड़ के बीच जब उम्मीदें डगमगाने लगी थीं, तब लेफ्टिनेंट कर्नल पुरी ने अपने अद्वितीय साहस से न केवल एक अधिकारी बल्कि चार सैनिकों की जान बचाई। विपरीत मौसम, सीमित संसाधन और हेलीकॉप्टर की रुकावटें, सब व्यर्थ हो गईं, जब एक सच्चे सैनिक ने "करना है या मरना है" के मंत्र को जीकर दिखाया। 15 अगस्त 2024, स्वतंत्रता दिवस पर उन्हें ‘सेना मेडल (शौर्य)’ से सम्मानित किया गया, एक ऐसा अलंकरण जो न केवल बहादुरी की गवाही देता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्तम्भ बनता है।
उनकी यह उपलब्धि केवल उनके कंधों तक सीमित नहीं, बल्कि उनके पूरे परिवार की तपस्या का फल है, पिता पंकज पुरी (सेवानिवृत्त बैंककर्मी), माता प्रीति पुरी (शिक्षिका), धर्मपत्नी चारु पुरी, और बेटी वाम्या पुरी सबकी आँखों में आज गर्व मिश्रित खुशी के आंसू थे।
इस सम्मान समारोह में संस्था की डायरेक्टर समता महरोत्रा, वाइस डायरेक्टर ज्योति पुरी, अध्यक्ष प्रीति कपूर, उपाध्यक्ष साधिका कपूर, सचिव शिखा धवन, कोषाध्यक्ष सपना मेहरोत्रा एवं एडिटर रूपाली महेंद्रा सहित खत्री समाज की सशक्त मातृशक्ति बड़े ही स्नेह, गरिमा और गर्व के साथ उपस्थित रही।
कुलमिलाकर वीर सपूतों के सम्मान से राष्ट्र की आत्मा और अधिक प्रकाशमान होती है। और जब समाज की नारी शक्ति स्वयं आगे बढ़कर ऐसे रत्नों को सम्मान देती है, तब वह केवल आयोजन नहीं, एक संवेदना, एक प्रेरणा और एक राष्ट्र-गौरव की लहर बन जाता है।
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