लखीमपुर खीरी, 15 मई। जिस धरा पर माँ के चरणों को पूज्य माना गया हो, वहाँ यदि मातृत्व को शिक्षा की यात्रा में सहचरी बनाया जाए, तो निश्चित ही संस्कार और संस्कृति का स्वर्णिम सूर्योदय होता है। ऐसा ही एक स्वर्णिम क्षण उस समय साकार हुआ जब सनातन धर्म सरस्वती विद्या मंदिर बालिका इंटर कॉलेज, मिश्राना, लखीमपुर खीरी के प्रांगण में ‘मातृ भारती’ संगठन का भव्य गठन किया गया।
सरस्वती वंदना की दिव्यता और दीप प्रज्वलन की पावन आभा से आरंभ हुए इस कार्यक्रम में शिक्षा, संस्कृति और संस्कार के ताने-बाने में मातृत्व का सुनहरा सूत्र पिरोया गया। विद्यालय की यशस्वी प्रधानाचार्या शिप्रा बाजपेई ने माताओं की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा बेटियों के व्यक्तित्व निर्माण में माताओं की भूमिका केवल घरेलू नहीं, अपितु राष्ट्रीय पुनरुत्थान की नींव होती है। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. रेखा पाण्डेय (एसोसिएट प्रोफेसर, दर्शनशास्त्र विभाग, भगवानदीन आर्य कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय) ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा विद्यालय शिक्षा का मंदिर है, किन्तु उसकी आरती तभी पूरी होती है जब मातृशक्ति उसमें दीप बनकर जलती है। वर्तमान समय में मोबाइल और सोशल मीडिया की अंधी दौड़ में जब बच्चों की दृष्टि दिशाहीन होती जा रही है, तब माँ ही वह दीप है, जो उन्हें सत्य के पथ पर ले जाती है। उन्होंने विद्यालय को सप्रेम 21,000 रुपये का सहयोग प्रदान कर न केवल संगठन की गरिमा बढ़ाई, अपितु मातृत्व की संवेदनशीलता का भी परिचय दिया। इस ऐतिहासिक क्षण में माताओं को छात्राओं के सर्वांगीण विकास में भागीदार बनाते हुए संगठनात्मक रूप प्रदान किया गया।
जिन मातृशक्तियों को विभिन्न दायित्वों से विभूषित किया गया, उनके नाम शिक्षा के इस पवित्र इतिहास में स्वर्णाक्षरों से अंकित होंगे —
संरक्षिका – ममता अग्रवाल
अध्यक्षा – उर्मिला कुमारी
उपाध्यक्षा - अखिलेश कुमारी
महामंत्री – शान्या तिवारी
सहमंत्री – नेहा अग्निहोत्री
संस्कृति संरक्षण एवं संवर्धन – प्रीति गुप्ता
समाज एवं परिवार प्रबोधन – प्रभा शुक्ला
आहार एवं आरोग्य विभाग – निशा मिश्रा
लोकशिक्षा विभाग – नूतन श्रीवास्तव
स्वच्छता एवं पर्यावरण विभाग – उमा राठौर
कोषाध्यक्ष – विमला शुक्ला
संयोजिका – शिप्रा बाजपेई
सह संयोजिका – अमिता गुप्ता
इस अवसर पर उपस्थित सभी माताओं ने अपनी सहभागिता के माध्यम से यह संदेश दिया कि बेटियाँ सिर्फ विद्यालय की नहीं, समाज की अमूल्य धरोहर हैं और उनकी रक्षा, शिक्षा व निर्माण में माँ का हाथ सर्वोपरि है। कार्यक्रम के अंत में प्रधानाचार्या श्रीमती शिप्रा बाजपेई ने भावविह्वल होते हुए सभी का आभार व्यक्त किया और कहा यह संगठन नहीं, माँओं की एकजुटता का संकल्प है, जो हमारी बेटियों को न केवल शिक्षित करेगा, बल्कि उन्हें भारत की सांस्कृतिक चेतना का वाहक भी बनाएगा। कुलमिलाकर इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि जब शिक्षा का आंगन मातृत्व के स्पर्श से महकता है, तो वहां से निकलती हैं वह बेटियाँ, जो सृजन की सशक्त प्रतिमूर्ति बनती हैं।
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