“समय-संवाद”: की प्रेरक कड़ियों में प्रस्तुत है-
“जब ख्वाब ने Resign देने से मना किया”
✍️ रचना: अनूप सिंह
“सपनों को मारने के लिए कोई हथियार नहीं चाहिए, बस एक स्थायी नौकरी और EMI का फॉर्म काफी है।”
राहुल, जो कभी कॉलेज में ‘क्रिएटिविटी का बादशाह’ कहलाता था, अब एक मल्टीनेशनल कंपनी में ‘प्रोजेक्ट मैनेजर’ बन चुका है।
एक दिन, ऑफिस में बैठा राहुल अपने कंप्यूटर स्क्रीन पर Excel शीट घूर रहा था, तभी उसके मोबाइल पर एक नोटिफिकेशन आया:
“Facebook Memories: 5 साल पहले - ‘पहला स्टेज परफॉर्मेंस!’
राहुल ने फोटो खोली, जिसमें वह गिटार लिए स्टेज पर मुस्कुरा रहा था।
उसे याद आया, कैसे वह हर वीकेंड म्यूजिक जेम सेशन में हिस्सा लेता था।
तब और अब:
तब:
• हर वीकेंड म्यूजिक जेम सेशन।
• नए गानों की कंपोजिशन।
• दोस्तों के साथ म्यूजिक डिस्कशन।
अब:
• हर वीकेंड ऑफिस की रिपोर्टिंग।
• नए टारगेट्स की प्लानिंग।
• क्लाइंट मीटिंग्स की तैयारी।
एक दिन की बात:
राहुल ने सोचा, “क्यों न फिर से गिटार उठाया जाए?”
उसने अपने पुराने गिटार को ढूंढ निकाला, जो अब धूल से ढका हुआ था।
गिटार उठाते ही उसकी उंगलियाँ खुद-ब-खुद तारों पर चलने लगीं।
एक पुरानी धुन बजाई, और उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई।
राहुल ने महसूस किया, कि उसका सपना अभी भी जिंदा है।
उसने तय किया, कि वह हर वीकेंड कुछ समय म्यूजिक को देगा।
अब वह ऑफिस के बाद म्यूजिक सेशन में हिस्सा लेने लगा है।
उसकी जिंदगी में फिर से रंग भरने लगे हैं।
“सपनों को रिटायरमेंट नहीं चाहिए, उन्हें पार्ट-टाइम जॉब दो!”
– अनूप सिंह (Career Counselor and Life Coach)
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