समय-संवाद कालम में : अब बारी है उस विषय की, जिसे पढ़कर शायद कुछ दिल “स्क्रीनशॉट” ना लें, बल्कि अंदर से 'सेव' कर लें।
अनूप सिंह की कलम से…✍️
संवेदना का स्क्रीनशॉट
(इंसानियत अब इमोजी में सिमट गई है)
कभी जब किसी की मौत की खबर आती थी,
तो लोग दौड़ पड़ते थे —
कंधा देने, आंसू पोछने, या सिर्फ मौन साथ देने के लिए।
अब किसी की मौत की खबर व्हाट्सऐप पर आती है...
नीचे 4-5 “*Folded Hands*” वाले इमोजी,
एक दो “**Sad Face**”,
और कुछ लोग “**Screenshot**” लेकर आगे बढ़ा देते हैं।
दुख की संवेदना भी अब Forwardable Content बन गई है।
- पहले संवेदना “हाथ पकड़ने” में थी,
अब “फोन पकड़ने” में है।
- पहले आंखें नम होती थीं,
अब Status अपडेट होता है —
"RIP भाई, तुम बहुत याद आओगे"
(और उसी Status में अगला Slide — Gym Selfie!)
वो जमाना गया, जब दर्द बँटा करता था...
अब तो कोई गिरे,
तो पहले कैमरा निकलता है —
“भाई ज़रा वापस गिरो... लाइट ठीक नहीं थी!”
- सड़क पर एक्सीडेंट हो जाए,
तो 5 लोग फोन निकालते हैं,
और 1 आदमी कहता है —
“Ambulance को Tag कर दो भाई!”
*संवेदनाएं Offline हो चुकी हैं...**
*कभी मंदिर-मस्जिद में इंसानियत मिलती थी,*
*अब ट्रेंडिंग टॉपिक में “दया” खोजनी पड़ती है।*
*किसी के आँसू अब सच्चे हों या झूठे —*
Comments में “Stay Strong” लिखने वाले ज़्यादा मिलते हैं,
*साथ निभाने वाले कम।*
**संवेदना का Screen Time कम हो गया है...**
*- “RIP” लिखकर लोग चैन की नींद सो जाते हैं।*
*- “हमारी प्रार्थनाएँ साथ हैं” टाइप करके,*
*फिर अगली रील देखते हैं —*
*“कैसे बनें करोड़पति बिना कुछ किए!”*
*— आज का Screenshot, कल की सच्चाई**
*"संवेदना अब शब्द नहीं रही — स्टेटस बन गई है!"*
*"दर्द बाँटना था, हमने फ़ॉरवर्ड कर दिया!"*
*"दिल दुखा, स्क्रीनशॉट लिया, और दिल से Delete कर दिया!"*
*तो क्या करें?*
- संवेदना दिखाइए, **Live**, न कि सिर्फ **Online**।
- किसी को लगे कि दुनिया में कोई है जो उसका दर्द समझता है —
वो मोबाइल से नहीं, **मुलाक़ात** से महसूस हो।
क्योंकि...
*“स्क्रीनशॉट से इंसान नहीं संभलते,*
*संभालने को हाथ, दिल और समय लगता है।”*
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*बताइए, अगला व्यंग्य का विषय पर हो?*
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