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गुरुवार, 17 अप्रैल 2025

बंगाल पर बवाल : हिंदुओं पर हमलों को लेकर आगे आई सनातन फोर्स ( भारत), की राष्ट्रपति शासन की मांग

🔘 पश्चिम बंगाल में हिंदू समाज पर हमले, प्रशासनिक निष्क्रियता पर उठे सवाल

दैनिक जनजागरण न्यूज। पश्चिम बंगाल में हाल ही में घटित घटनाओं ने राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। रामनवमी और हनुमान जयंती के अवसर पर हावड़ा, बीरभूम, मुर्शिदाबाद और अन्य जिलों में निकाली गई धार्मिक शोभायात्राओं पर हिंसक हमले हुए। तलवारों, पेट्रोल बमों और पत्थरों से हमला कर धार्मिक स्थलों को क्षतिग्रस्त किया गया। मुर्शिदाबाद के शमशेरगंज में पूजा कर रहे एक हिंदू परिवार पर हमला हुआ, महिलाओं के साथ अभद्रता की गई, किंतु पुलिस की कार्रवाई केवल औपचारिकता तक सीमित रही।
12 अप्रैल को जाफराबाद गांव में वक्फ विवाद को लेकर हरगोबिंद दास और उनके पुत्र की निर्मम हत्या ने जनमानस को झकझोर दिया। इन घटनाओं के बाद मालदा, बसीरहाट जैसे क्षेत्रों से हिंदू परिवारों का पलायन आरंभ हो गया है। पीड़ितों का आरोप है कि प्रशासन उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं देता, उल्टा पीड़ितों को ही अपराधी बना दिया जाता है।
स्थानीय संगठनों का कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 25 का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने केंद्र सरकार से अनुच्छेद 356 लागू करने तथा निष्पक्ष जांच की मांग की है। साथ ही धार्मिक अल्पसंख्यकों व बहुसंख्यकों की सुरक्षा हेतु राष्ट्रीय सांप्रदायिकता निगरानी आयोग की स्थापना की अपील भी की गई है।
समाज के भीतर बढ़ती असहिष्णुता और प्रशासनिक पक्षपात चिंता का विषय है, जिस पर शीघ्र ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

आज इस संदर्भ में सनातन फोर्स के संस्थापक राहुल तिवारी सनातन ने राष्ट्रपति को ज्ञापन पत्र लिखते हुए कड़ी कार्रवाई एवं राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है। आइए देखते हैं क्या कुछ लिखा है श्री राहुल तिवारी सनातन ने .......👇

माननीय महामहिम राष्ट्रपति महोदय,
भारत गणराज्य,
राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली – 110004।
द्वारा - जिलाधिकारी महोदय.....

विषय: पश्चिम बंगाल में हिंदू समाज पर हो रहे सुनियोजित अत्याचारों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई व अनुच्छेद 356 के अंतर्गत राष्ट्रपति शासन लागू करने हेतु विनम्र ज्ञापन।

महोदय,

 हम लखीमपुर के नागरिक आपसे सविनय निवेदन करते है कि पश्चिम बंगाल में हिंदू समाज के विरुद्ध हो रहे सुनियोजित और लगातार बढ़ते हमलों से न केवल मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हो रहा है, अपितु राज्य की कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। ये घटनाएं न केवल धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को कुचल रही हैं, बल्कि एक पक्षपाती प्रशासनिक तंत्र को भी उजागर कर रही हैं, जो तुष्टीकरण की नीति पर चल रहा है।

पृष्ठभूमि व हाल की घटनाएं:

1. रामनवमी और हनुमान जयंती के अवसर पर हमले:
मार्च और अप्रैल 2024-25 के दौरान, रामनवमी और हनुमान जयंती पर आयोजित धार्मिक शोभायात्राओं पर बंगाल के हावड़ा, उत्तर 24 परगना, बीरभूम, मुर्शिदाबाद और अन्य जिलों में हिंसक भीड़ द्वारा सुनियोजित हमला किया गया। तलवार, पेट्रोल बम और पत्थरों से हमले हुए, मंदिरों में तोड़फोड़ हुई और धार्मिक नारों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियाँ की गईं।

2. शमशेरगंज में हिंदू परिवार पर हमला:
12 अप्रैल 2025 को मुर्शिदाबाद जिले के शमशेरगंज इलाके में पूजा कर रहे एक हिंदू परिवार पर हमला हुआ। हमलावर घर में घुस आए, तोड़फोड़ की, और महिलाओं से अभद्रता की। घटना के बावजूद पुलिस ने मामूली कार्रवाई कर मामला शांत करने की कोशिश की। यह घटना मीडिया में भी प्रमुखता से प्रकाशित हुई।

3. वक्फ विवाद में पिता-पुत्र की हत्या:
12 अप्रैल 2025 को मुर्शिदाबाद जिले के शमशेरगंज क्षेत्र के जाफराबाद गांव में वक्फ संपत्ति विवाद को लेकर हुई हिंसा में एक उन्मादी भीड़ ने हरगोबिंद दास (72) और उनके पुत्र चंदन दास (40) की निर्मम हत्या कर दी। हमलावरों ने उनके घर में घुसकर उन्हें बाहर खींचा, बेरहमी से पीटा और धारदार हथियारों से हमला किया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इस घटना में एक अन्य व्यक्ति की भी गोली लगने से मृत्यु हुई ।

4. पलायन की स्थिति:
मालदा, बसीरहाट और मुर्शिदाबाद जैसे इलाकों में कई हिंदू परिवार लगातार पलायन कर रहे हैं। असुरक्षा की भावना के चलते सैकड़ों परिवार अपना घर-बार छोड़ चुके हैं।

5. प्रशासनिक निष्क्रियता और पक्षपात:
स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक तंत्र पर राजनीतिक दबाव स्पष्ट है। दंगों में पीड़ितों की शिकायत दर्ज नहीं होती, और उल्टे हिंदू युवकों को ही गिरफ्तार किया जाता है। हिंसा के पीछे सक्रिय कट्टरपंथी तत्वों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जाती।

6. धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा:
राज्य सरकार की निष्क्रियता और तुष्टीकरण की नीति ने कट्टरपंथियों का मनोबल बढ़ा दिया है। हिंदू धार्मिक गतिविधियों पर रोक और असहिष्णु व्यवहार अब आम हो चला है।

संवैधानिक दृष्टिकोण:

यह सब भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 21 (जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार), अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार) और अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) का स्पष्ट उल्लंघन है। अनुच्छेद 355 के अंतर्गत केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह राज्य में संविधान के अनुसार शासन सुनिश्चित करे। पश्चिम बंगाल की वर्तमान स्थिति इस अनुच्छेद की भावना के सर्वथा विपरीत है।

हमारी विनम्र माँगें:

1. पश्चिम बंगाल में हुई हिंसक घटनाओं की CBI या न्यायिक आयोग द्वारा निष्पक्ष जांच कराई जाए।

2. हमलों में पीड़ित परिवारों को संरक्षण, पुनर्वास और उचित मुआवजा प्रदान किया जाए।

3. प्रशासनिक निष्क्रियता के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाए।

4. राज्य में अनुच्छेद 356 के अंतर्गत राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए।

5. देशभर में धार्मिक अल्पसंख्यकों या बहुसंख्यकों पर हो रहे हमलों की निगरानी हेतु एक राष्ट्रीय सांप्रदायिकता निगरानी आयोग की स्थापना की जाए।

निष्कर्षतः, हम आपसे अपील करते हैं कि आप इस विषय को गंभीरता से लें और राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को सुरक्षा और सम्मान से जीवन जीने का अधिकार दिलाने हेतु आवश्यक कदम उठाएं।

आपका विश्वासी

राहुल तिवारी एडवोकेट
संस्थापक:- सनातन फ़ोर्स (भारत)
संपर्क: 8081561005

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