भारत में बिक रहा बीमारी का टाइम बम बेचा जा रहा मलेशिया से 3 गुना ज़्यादा शुगर 7 गुना ज़्यादा सोडियम वाला फेंटा
प्रयागराज क्या आप जानते हैं कि भारत में बिकने वाली फैंटा मलेशिया की फैंटा से कहीं ज़्यादा मीठी और नुकसानदेह है? हाल ही में एक ग्राहक ने मलेशिया से आयातित फैंटा का केन ख़रीद लिया। जब उसने इसकी क़ीमत और पोषण से जुड़ी जानकारी देखी तो दंग रह गया। मलेशिया में फैंटा की 320 मिलीलीटर की केन 140 रुपये में बिकती है, जबकि भारत में यही केन सिर्फ़ 40 रुपये में मिलती है। क़ीमत का फ़र्क़ तो समझ आता है, लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि भारत में बिकने वाली फैंटा में शुगर और सोडियम की मात्रा मलेशियाई फैंटा से कई गुना ज़्यादा है।
मलेशियाई फैंटा में प्रति 100 मिलीलीटर 4.6 ग्राम शुगर और 3 मिलीग्राम सोडियम होता है, जबकि भारत में मिलने वाली फैंटा में 13.6 ग्राम शुगर और 22.3 मिलीग्राम सोडियम है। यानी भारत में बिकने वाली फैंटा में तीन गुना ज़्यादा मीठा और सात गुना ज़्यादा सोडियम है। इससे सेहत पर कितना बुरा असर पड़ सकता है, इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
एक और चौंकाने वाली बात यह है कि भारत में फैंटा के 300 मिलीलीटर के केन पर 200 मिलीलीटर को एक सर्विंग दिखाया जाता है, जबकि मलेशियाई फैंटा के लेबल पर पूरी 320 मिलीलीटर मात्रा को एकल सर्विंग बताया गया है। इसका मतलब है कि भारत में उपभोक्ताओं को सही जानकारी नहीं मिल रही और वे जाने-अनजाने में ज़्यादा शुगर और सोडियम का सेवन कर रहे हैं।भारत में खाद्य सुरक्षा से जुड़े नियमों की ढील इसका सबसे बड़ा कारण है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने कोल्ड ड्रिंक्स में शुगर और सोडियम की सीमा तय करने की बात कही है, लेकिन अभी तक इस पर सख़्ती नहीं हुई है। 2023 में सरकार ने हाई शुगर वाले पेय पदार्थों पर हेल्थ वार्निंग लेबल लगाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन अब तक इसे लागू नहीं किया गया। 2017 में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारतीय कोल्ड ड्रिंक्स में शुगर की मात्रा ख़तरनाक स्तर तक ज़्यादा है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।अगर दूसरे देशों की बात करें, तो वहां इस तरह के पेय पदार्थों पर सख़्त नियम लागू हैं। ब्रिटेन में सॉफ्ट ड्रिंक इंडस्ट्री लेवी लागू है, जिससे मीठे ड्रिंक्स महंगे हो जाते हैं। मैक्सिको में 2014 से 10% शुगर टैक्स लगाया जाता है। अमेरिका के कुछ राज्यों में भी ज़्यादा शुगर वाले पेय पदार्थों पर अतिरिक्त टैक्स लिया जाता है।
बिना किसी सख़्त क़ानून के भारत में लोग इन खतरनाक पेय पदार्थों का धड़ल्ले से सेवन कर रहे हैं, जिसका नतीजा सेहत पर दिख रहा है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के मुताबिक़, 15-25 साल के युवाओं में सॉफ़्ट ड्रिंक्स पीने की आदत 40% बढ़ गई है, जिससे मोटापा 20% बढ़ गया है। जर्नल ऑफ हेपेटोलॉजी की रिपोर्ट बताती है कि इन पेय पदार्थों में मौजूद हाई-फ्रक्टोज कॉर्न सिरप की वजह से फैटी लिवर के मरीज़ 30-40% तक बढ़ गए हैं। इंडियन डेंटल एसोसिएशन के अनुसार, ऐसे ड्रिंक्स पीने वाले बच्चों में दांतों की सड़न की समस्या 50% ज़्यादा होती है।स्पष्ट है कि मल्टीनेशनल कंपनियां अलग-अलग देशों में अलग क्वालिटी के प्रोडक्ट बेच रही हैं और भारत में सस्ते कोल्ड ड्रिंक्स में ज़्यादा मात्रा में शुगर और सोडियम मिलाया जा रहा है। यह सेहत के लिए गंभीर ख़तरा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द सख़्त नियम लागू करने चाहिए और हेल्थ वार्निंग लेबल अनिवार्य करना चाहिए, ताकि भारतीय लोगों को सुरक्षित उत्पाद मिलें और वे अपनी सेहत को लेकर जागरूक हो सकें।
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