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गुरुवार, 16 जनवरी 2025

Lmp. तक्षशिला गुरुकुल में आयोजित हुआ मिट्टी एवं जल-समर्पण कार्यक्रम

कल दिनांक 15 जनवरी 2025, पिंगल संवत्सर 2081 के माघ माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया को पुष्य नक्षत्र एवं प्रीति योग के संयोग में निर्माणाधीन तक्षशिला विश्वविद्यापीठ गुरुकुल में मिट्टी एवं जल-समर्पण कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में सिंगापुर से आए हुए प्रोजेक्ट तक्षशिला के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष माहेश्वरी ने गुरुकुल की भूमि को, देश-विदेश की 151 से अधिक पवित्र नदियों, महासागरों, जलाशयों एवं झीलों का जल एवं 251 से अधिक पवित्र स्थानों की मिट्टी समर्पित कर ईश्वर से समृद्धि एवं कुशलता की कामना की।

तक्षशिला विश्वविद्यापीठ की निर्माणाधीन प्रक्रिया के मध्य उसको समर्पित की गई यह मिट्टी, तक्षशिला परियोजना से जुड़े हुए स्वयंसेवकों के अथक परिश्रम के द्वारा लगभग पिछले डेढ़ दशक से देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों से संग्रहित की गई। इस मिट्टी में अंग, मगध, काशी, कोसल, वज्जि, मल्ल, चेदि, वत्स, कुरु, पांचाल, मत्स्य, शूरसेन, अस्मक, अवन्ति, गांधार एवं कंबोज नामक आर्यावर्त्त के सभी पुरातन 16 महाजनपदों से संग्रहित की गई मिट्टी तो सम्मिलित थी ही, साथ ही इसमें हिंदू धर्म में अति महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले सभी 12 ज्योतिर्लिंगों, 51 शक्तिपीठों, 7 पुरियों और 4 धामों से लाई गई पवित्र मिट्टी भी सम्मिलित थी। प्रसन्नता की बात यह है कि टीम तक्षशिला, पश्चिमी हिंदुस्तान स्थित हिंगलाज पीठ, शारदा पीठ, पूर्वी हिंदुस्तान स्थित ढाकेश्वरी पीठ एवं कैलास अविमुक्त क्षेत्र (त्रिविष्टप) तक से वहां की पवित्र मिट्टी लाने में सफल रही। इसके साथ ही टीम तक्षशिला के द्वारा सनातन शौर्य एवं हिन्दू विद्या केंद्रों के प्रतीकों- कुरुक्षेत्र, हल्दीघाटी, तक्षशिला, विक्रमशिला, नालंदा, पाटलिपुत्र, सिंहगढ़, रायगढ़, नांदेड़, फतेहगढ़, सारागढ़ी, चमकौर, सारंगपुर, नागौर, मालवा, जुन्नार, अहमदनगर, पुणे, सूरत, पुरंदर, कोहिमा पास, शहीद व स्वराज द्वीप समूह, हाइफ़ा व जेरुसलम (इज़रायल) एवं ऑरडोस (पूर्ववर्ती मंगोलिया) जैसे अनेक पवित्र स्थानों की मिट्टी को भी संग्रहित किया गया।

इसके अतिरिक्त गुरुकुल को समर्पित किए गए पवित्र जल में प्रयागराज के संगम से माँ गंगा, यमुना व सरस्वती सहित सभी पंच प्रयागों के पवित्र जल को लाया गया था। टीम तक्षशिला ने बागमती, ब्रह्मपुत्र, सरयू, सिंधु, शतद्रु, विपाशा, असिक्नी, परुष्णी, वितस्ता, महाकाली, कावेरी, गोदावरी, चंबल, नील (मिस्र), दज़ला-फ़रात (मेसोपोटामिया), जॉर्डन (इज़रायल), कैलास मानसरोवर (त्रिविष्टप) हिंगोल (बलूचिस्तान), पुष्कर एवं नैमिषारण्य जैसी अनेक पवित्र जल-निधियों का जल भी अपने अथक प्रयासों से संग्रहित किया था।

उपरोक्त मिट्टी एवं जल-समर्पण कार्यक्रम का संयोजन एवं आयोजन तक्षशिला विश्वविद्यापीठ के कुलाधिपति आचार्य श्रीवृत्त के दिशानिर्देशन में किया गया। तक्षशिला परियोजना के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष माहेश्वरी की अध्यक्षता एवं सरदार बाबा सिंह की उपाध्यक्षता में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में परियोजना के राष्ट्रीय अध्यक्ष एड० राहुल तिवारी ने प्रधान पुरोहित की भूमिका निभाते हुए वैदिक मंत्रों के साथ विधिवत पूजन एवं अर्चन संपन्न करवाया। तक्षशिला निर्माण कार्यकारिणी के अध्यक्ष इं० रवि सिंह एवं विनय भल्ला क्रमशः कार्यक्रम के मुख्य एवं विशिष्ट अतिथि रहे। कार्यक्रम की व्यवस्था का प्रबंधन रिंकू सिंह एवं शुभम चौरसिया के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत में कुलगुरु मोहन धवन ने सभी आमंत्रित पदाधिकारियों एवं आगंतुकों को धन्यवाद एवं आभार प्रेषित करते हुए कार्यक्रम को संपन्न किया।

ज्ञात हो कि हिंगलाज मानव सेवा संस्थान न्यास की तक्षशिला परियोजना के अंर्तगत संचालित किए जाने वाले उपरोक्त गुरुकुल में समाज के सभी वर्गों के योग्य छात्रों को निःशुल्क आधुनिक आवासीय शिक्षा प्रदान की जाती है। इसके अलावा गुरुकुल छात्रों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं की पूर्व-तैयारी करवाता है एवं उनकी आत्मिक एवं आध्यात्मिक चेतना के उन्नयन व विकास के लिए योग एवं वैदिक शिक्षा पर आधारित विभिन्न पाठ्यक्रम एवं सत्र भी संचालित करता है। न्यास द्वारा संचालित की जा रही इस तक्षशिला परियोजना के अंतर्गत 4 वर्ष से लेकर 7 वर्ष तक की आयु के बालक प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे बालक जिनके माता अथवा पिता में से कोई एक अथवा दोनों नहीं हैं अथवा जो आर्थिक रूप से अक्षम परिवारों से संबंध रखते हैं, तक्षशिला गुरुकुल उन्हें अपने यहां प्राथमिकता से प्रवेश प्रदान करता है।

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