महाकुम्भ नगर प्रयागराज को श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरुशंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती जी ने पूज्य शंकराचार्य रथ पर सवार होकर कुम्भ मेला क्षेत्र में प्रवेश किया। भव्य सजे हुये रथ पर बैठे स्वामी जी की रथ यात्रा में लगभग 20 रथों पर महामण्डलेश्वर, मण्डलेश्वर, जगद्गुरु एवं बड़ी संख्या में दण्डी संन्यासी भी रथारूढ़ थे।
श्रीमज्ज्योतिष्पीठ बदरिकाश्रम कुम्भ मेला शिविर में पूज्य स्वामी जी ने अपने आशीर्वाद में कहा कि सम्पूर्ण माघ माह में जो संगम त्रिवेणी तट पर कल्पवास करके त्रिवेणी स्नान और कल्पवास करता है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। प्रयागराज में माँ गंगा-यमुना एवं माँ सरस्वती का अद्भुत संगम है। जहाँ तक भी त्रिवेणी स्नान की महिमा है उस पूरे क्षेत्र में भव्य स्नान घाट सरकार द्वारा बनाये गये हैं। इसलिए जहाँ भी घाट मिले वहाँ आप स्नान करें, भ्रमित न हों।
स्वामी जी के कुम्भ मेला प्रवेश यात्रा में पूज्य सन्त महामण्डलेश्वर कल्याणानन्द जी महाराज, पूज्य जितेन्द्रनाथ जी महाराज, पूज्य तुलसाराम जी महाराज, ब्रह्मचारी गिरीश जी, दण्डी संन्यासी शंकरानन्द सरस्वती जी, दण्डी संन्यासी ब्रह्मानन्द सरस्वती जी, दण्डी संन्यासी विनोदानन्द सरस्वती जी, दण्डी संन्यासी जितेन्द्रानन्द जी, प्रयागपीठाधीश्वर ओंकारानन्द जी महाराज, दण्डी स्वामी अच्युतानन्द जी, जगदगुरूपरमहंस पूज्य राजकुमार जी महाराज आचार्य विपिन जी महाराज, आचार्य मनीष जी एवं पं रामजी त्रिपाठी आदि विशेष रूप से सम्मिलित हुये। कुम्भ मेला प्रवेश यात्रा अपने निर्धारित मार्गों से होते हुए अखाड़ा मार्ग से श्रीज्योतिष्पीठ बदरिका आश्रम शिविर पहुँचा। रास्ते में विभिन्न अखाड़ों के महंत एवं साधु-सन्तों ने पूज्य शंकराचार्य जी को माल्यार्पण करके आशीर्वाद प्राप्त किया। लगभग 10 किमी की यात्रा मार्ग में लाखों भक्तों ने उन्हें प्रणाम करके आशीर्वाद प्राप्त किया। अपर मेलाधिकारी दयानन्द जी, एडीएम मेला श्री विवेक चन्द्र शुक्ला जी और एसडीएम मेला श्री विवेक जी ने त्रिवेणी बांध के पास पूज्य शंकराचार्य श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरुशंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती जी को माल्यार्पण करके आशीर्वाद प्राप्त किया।
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