स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श मान कर विकल्पहीन संकल्प के साधक, निष्काम कर्मयोगी सुरेश चंद्र अवस्थी ने युवाओं की सामर्थ्य-सर्जना के विविध आयामों के बिम्ब उकेरे हैं। राजधानी लखनऊ में रह रहे इटौजा के निवासी श्री अवस्थी युवा-जागरण की अलख जगाते रहे हैं। नेहरू युवा केन्द्र संगठन, भारत सरकार से स्वैच्छिक सेवानिवृत उपनिदेशक सुरेश चन्द्र अवस्थी लोकहिताय सेवा-साधना और उत्कृष्टतम कार्य-सरोकारों के लिए जाने जाते हैं। अपनी कर्मठता और कर्त्तव्यनिष्ठा से उन्होंने जिस कार्य-संस्कृति को आत्मसात किया वह कई मायनों में अनूठी और अनुकरणीय है।
श्री अवस्थी ने राष्ट्र के युवाओं को विकास की मुख्य धारा से जोड़ते हुए उन्हें सही और सार्थक राह दिखाई है। गाँव-गाँव राष्ट्रीय एकता और सद्भाव की अलख जगाते हुए उन्होंने वंचितों को अधिकार सम्पन्न करने के साथ ही उन्हें समर्थ बनाने में महती योगदान दिया है। श्री अवस्थी ने ऐतिहासिक एवं विराट ग्रामीण महिला सम्मेलनों का आयोजन कर ग्रामीण महिलाओं को शिक्षित, साक्षर व सशक्त बनाने की मुहिम को मंजिल तक पहुँचाया है।
झुँझनू (राजस्थान) से 16 नवम्बर 1987 को युवा समन्वयक के रूप में अपनी सरकारी सेवा शुरू करने वाले श्री अवस्थी ने विविध कार्यक्रमों और अभियानों के माध्यम से बड़ी संख्या में युवाओं को रचनात्मक कार्यो के लिए प्रेरित किया। उन्होंने जनसहयोग और युवाओं को श्रमदान के लिए प्रेरित कर अनेक ऐसे कार्य करवाये, जो जनोपयोगी होने के साथ-साथ राष्ट्र विकास की दिशा में मील के पत्थर साबित हुए हैं। झुँझनू (राजस्थान), उत्तर प्रदेश के उन्नाव, अमेठी, प्रतापगढ़, कानपुर, हरदोई जनपदों, अरुणाचल प्रदेश स्थित एलांग, गाँधी नगर (गुजरात), भरतपुर, जयपुर (राजस्थान) आदि जनपदों में कराये गये कार्य और कार्यक्रम श्री अवस्थी की उत्कृृष्ट सेवा-साधना और कुशल नियोजन के परिचायक है।
उल्लेखनीय है कि श्री अवस्थी की कार्यपद्धति में जनसहयोग, युवा सहभागिता और श्रमदान सर्वोपरि रहा है। इसी कार्यपद्वति से उन्होंने अपने कार्यसरोकारों को नये आयाम दिये हैं। श्री अवस्थी द्वारा कराये गये अतिमहत्त्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं-
◆ झुँझनू (राजस्थान) में नेहरू युवा केन्द्र की स्थापना कर 400 युवा मण्डलों का गठन करते हुए 10 हजार युवाओं को संगठन की गतिविधियों से जोड़ा।
◆ झुँझनू में ही धावकों के अभ्यास के लिए श्रमदान से 400 मी0 अंतर्राष्ट्रीय रनिंग ट्रैक का निर्माण करवाया। इसे बनाने में 100 युवाओं ने 40 दिन तक श्रमदान किया। इस ट्रैक के संबंध में जयपुर सचिवालय भर्ती परीक्षा में सामान्य ज्ञान अन्तर्गत प्रश्न भी पूछा गया।
◆ 20 निर्धन बेघर परिवारों को जनसहयोग-श्रमदान से मकान बनवाकर दिये।
◆ देवराला सती काण्ड के बाद सती महिमा-मण्डन के खिलाफ जन-जागरूकता हेतु विशेष अभियान का संचालन किया।
◆ अमेठी में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं महिला अधिकार संबंधी जागरूकता के प्रसार हेतु 6 वृहद ऐतिहासिक महिला सम्मेलनों का आयोजन किया, जिनमें 30 हजार से भी अधिक ग्रामीण महिलाओं ने भाग लिया।
◆ झुँझनू (राजस्थान), अमेठी, उन्नाव जनपदों में श्रमदान से बेघरों के लिए घर बनवाने के अतिरिक्त पेयजल व अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु तालाबों, ग्रामीण क्षेत्र में सम्पर्क मार्गों , खेल मैदानों, चौपालों व बैठकों के लिए गाँधी चबूतरों का निर्माण करवाया।
◆ युवाओं सहित समाज के प्रत्येक वर्ग की सहभागिता वाले सद्भावना कार्यक्रमों व सद्भावना रैलियों का बड़ी संख्या में आयोजन किया।
◆ देश के विभिन्न प्रान्तों के युवाओं की सहभागिता युक्त कई राष्ट्रीय एकता शिविरों का सफल आयोजन किया।
◆ युवाओं के आदर्श स्वामी विवेकानन्द की जयन्ती के अवसरों पर राष्ट्रीय युवा दिवस /सप्ताह अन्तर्गत उनके जीवन-दर्शन पर आधारित बड़े युवा सम्मेलनों एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया।
◆ जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले से आये युवाओं के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम का सफल एवं प्रभावी आयोजन किया।
◆ अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा स्थित एलांग जिले में सद्भावना रैली/सद्भावना सम्मेलन का सफल आयोजन किया।
उपर्युक्त के अतिरिक्त पर्यावरण, मद्यनिषेध, पंचायती राज, शिक्षा, स्वास्थ्य, एड्स नियन्त्रण, साक्षरता विकास, स्वच्छता, आतंकवाद विरोध के संबंध में बड़ी संख्या में गोष्ठियों, पदयात्राओं, रैलियों, सायकिल रैलियों एवं कार्यशालाओं का आयोजन कर जनमानस एवं युवाओं को जागरूक किया। इन गतिविधियों के सुखद, अपेक्षित एवं सकारात्मक परिणाम देखने को मिले।
समय-समय पर श्री अवस्थी की सराहनीय कार्य गतिविधियों के लिए वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के अतिरिक्त देश के प्रमुख समाजसेवियों एवं संस्थाओं द्वारा प्रशस्तिपत्र भी प्रदान किये गये। इन सभी गतिविधियों एवं उपलब्धियों के समाचार प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में बड़ी संख्या में प्रकाशित हुए हैं।
राष्ट्रहित की अपनी सेवा साधना को और भी उत्कृष्ट स्वरूप प्रदान करने के लिए अपने सेवाकाल के 6 वर्ष 5 माह पूर्व ही विभागीय भ्रष्टाचार के विरोध में श्री अवस्थी ने 25 फरवरी 2014 को सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति प्राप्त की।
श्री अवस्थी के प्रेरणादायी कार्यप्रयासों पर केन्द्रित 192 पृष्ठ की एक पुस्तक ''युवा नेतृत्व की अनूठी मिसाल'' 'इमेज मीडिया ग्रुप' लखनऊ द्वारा प्रकाशित की गयी। इस पुस्तक में युवाओं को सृजन, शांति, सद्भाव और विकास की राह दिखने वाले श्री अवस्थी के प्रेरणादायी प्रयासों का निरूपण किया गया है।
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