प्रयागराज जिस प्रकार दिवाकर अर्थात सूर्य निशा की नीरवता अलसाई बसुधा पर भोर में भाष्कर के अथाह उर्जित प्रकाश पुंज विखेर कर कौतुहल पैदा करता है.ठीक इसी तरह रोज दिवाकर भाई के लेख, समाचार जन मानस के छवि पटल पर एक अमिट गहरी छाप छोड़ते है।दिवाकर ज़ी के लेखन का एक उच्च शिखर है। वाद - विवाद से परे इनका परिपक्य -लेखन का अपूर्व उदाहरण है। भाषा, कथ्य और चित्रण सभी पर इतना अधिकार और उस अधिकार का इतना स्यंत प्रयोग शब्दों का श्रृंगार इनके लेख, समाचार और वाकु पटता सारगर्भित उद्दीपन करते है.जब क़ोई दिवाकर भैया कोह् नवोदित पत्रकार कहकर सम्बोधित करता है तो मुझे अत्यधिक विस्मय होता है। दिवाकर ज़ी की सिर्फ डेली न्यूज समाचार पत्र से न तो सफ़र शुरू हुआ और न हीं इसी से पहचान बनी। वेजोड़ कलम कार प्रतिभा के वेताज धनी इस समर विजेता नें देश के अनगिनत गौरव शाली प्रकाशनों के समाचार पत्र पत्रिकाओं टी. वी. चैनलों में अपने ओजस्वी प्रतिभा का स्तम्भ स्थापित कर लोहा मनवाया।जहाँ तक मुझे इसलिए ज्ञान है कि कुंवर साहब के पत्रकारिता के लम्बे दशक के सफ़र नामे का मैं स्वयं साछी और इनके उत्कर्ष लेखनी का पाठक हूँ।
दिवाकर ज़ी के पत्रकारिता काल में भी विपरीत और विषम परिस्थियां भी मार्ग अवरोधन में आई। लेकिन इस पत्रकार पुरोधा नें उक्त कालखंड में वगैर किसी प्रकार विचलित हुए कलम को विषय- विषयान्तगर्त मुद्दों को निष्पक्षता से धार देते रहे। निः संदेह यह अपने शौम्यता तथा कलम की बाजीगरी के लिए आम जनमानस के वछ स्थल के अतल गहराइयों में अटूट विश्वास की पैठ बनाते गए। दिवाकर ज़ी के पत्रकारिता में यह विशेष बात रही कि इन्होने अपने प्रखर लेखनी में आलोचना के साथ समालोचना को भी बड़े संजीदगी और सजगता से प्रमुख स्थान दिया। कलमकार दिवाकर ज़ी अंतराष्ट्रीय स्तर पर नेपाल में कई बार उत्कृष्ट लेख के लिए पुरुस्कृत किए गए।
ऐसे कलम कार कर्तव्य निष्ठ निष्ठांवान पुरोधा को 2024 के सिंहा वलोकन में हम ह्रदय से 100 में 100% अंक के साथ नमन करता हूँ. साथ ही आशा करता हूँ कि वे आगामी वर्षो में भी समाज उन्मुखी क़बरेज को
गतिमान रखेंगे ।
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