संत श्री सियाराम बाबा ने प्राण त्यागे
माँ नर्मदा भी अपने लाल के वियोग में अपने तट पे टकरा टकरा कर रोएगी,अब उसके लाल सियाराम को भगवान विष्णु ने बैकुंठ धाम बुला लिया है।मोक्षदायनी एकादशी के दिन संत श्री सियाराम बाबा ने प्राण त्यागे।
मुझे नही पता देश मे कितने लोग सियाराम बाबा को जानते है ,लेकिन जितने लोग जानते है उन्हें पता है ,सियाराम बाबा जैसा सन्त कलयुग में देख लेना भी देव दर्शन से कम नही था।
आखरी सांस सनातनी जड़ों को नर्मदा के आंचल में बैठकर सिचने वाले , स्व घोसित दुकानों के दौर में भी सनातनियों को सनातन की जड़ों से जोड़े रखने वाले मां नर्मदा के आंचल को ही अपना सब कुछ बना लेने वाले।
पूज्य संत सियाराम बाबा का जाना मालवा निमाड़ सहित पूरे सनातन के लिए बहुत बड़ा धक्का है।आज तो माँ नर्मदा भी अपने तट पर टकरा टकरा के रोएगी क्योंकि अब उसके तट पर उसका सियाराम नहाने नहीं आएगा।सवा सौ साल की उम्र में भी एक पल भी माँ नर्मदा का आंचल नही छोड़ने वाले पूज्य सियाराम बाबा के जाने से आप और हम ही नहीं माँ नर्मदा भी वियोग में रोएगी अपने लाल के लिए।
शायद भगवान श्री हरि विष्णु ने ऐसे अन्य संत को माँ नर्मदा से यह कहते हुए बुला लिया होगा की है नर्मदा तेरा लाल तो अद्भुत है सवा सौ साल से तेरे आंचल में है अब इसे मैं मेरे पास बैकुंठ में रखूंगा।पोस्ट लिखते हुए बहुत भावुक हु में।अंत में बस इतना ही कहूंगा भगवान विष्णु सियाराम बाबा को फिर से माँ नर्मदा के आंचल में जल्द भेजें,
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Post Comments