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शुक्रवार, 9 अगस्त 2024

शाहजहांपुर : काकोरी रेल कार्रवाई शताब्दी वर्ष शुभारंभ पर दी गई वैचारिक श्रद्धांजलि

व्यापक दृष्टि और स्पष्ट लक्ष्य से बनता है इतिहास : विद्यार्थी 

* इप्टा जिला इकाई के रंगकर्मियों ने आयोजित की प्रदेश विचार गोष्ठी

शाहजहांपुर। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण क्रांतिकारी कार्रवाई काकोरी ट्रेन एक्शन शताब्दी वर्ष शुभारंभ के मौके पर भारतीय जन नाट्य संघ 'इप्टा' जिला शाहजहांपुर इकाई ने प्रदेश स्तरीय विचार गोष्ठी का आयोजन कर काकोरी एक्शन के अमर शहीदों को भावभीनी वैचारिक व सांस्कृतिक श्रद्धांजलि अर्पित की। 
शुक्रवार दोपहर 12 बजे स्थानीय लोक निर्माण विभाग सभागार में वरिष्ठ रंगकर्मी आलोक सक्सेना के मंच संचालन में हुए कार्यक्रम का शुभारंभ देश के प्रख्यात साहित्यकार सुधीर विद्यार्थी, कारागार अधीक्षक मिजाजीलाल और अन्य सामाजिक, सांस्कृतिक व रंगमंच से जुड़े शहर व आसपास के जिलों से आए नागरिकों ने अमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह और राजेंद्र नाथ लाहिड़ी के चित्रों पर माल्यार्पण व श्रद्धा सुमन अर्पित कर किया। 'इप्टा'  जिला कमेटी के पदाधिकारी संजय राठौर, आलोक सक्सेना, हंसराज विकल, मनीष मुनि, सैफ असलम खान, आरपीडी सोती आदि ने मुख्य वक्ता सुधीर विद्यार्थी और कार्यक्रम अध्यक्ष मिजाजी लाल का शाल ओढाकर, पुष्पगुच्छ भेंट कर व स्मृति पेंटिंग प्रदान कर स्वागत किया।
सुधीर विद्यार्थी ने कहा कि इतिहास व्यापक दृष्टि और स्पष्ट लक्ष्य से बनता है बनता है । गांधीजी द्वारा असहयोग आंदोलन की असमय वापसी के बाद देश के स्वतंत्रता आंदोलन में एक असंतोष का भाव पैदा हो गया। एक खालीपन का वातावरण बन गया जिसको लेकर क्रांतिकारियो में एक छटपटाहट सी थी इसी के चलते क्रांतिकारियों ने तय किया कि वे अब एक अलग रास्ते पर जाकर देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करेंगे। और इसी का परिणाम था काकोरी रेल कार्रवाई। काकोरी एक्शन एक ऐसी घटना थी जिसका मकसद मात्र कुछ रुपए लूटने का नहीं था, दरअसल यह ब्रिटिश सरकार को सीधी चुनौती देने का एक प्रयास था और इस साहसिक कार्रवाई ने ब्रिटिश सरकार की चूलें हिला दीं थी। हालांकि पहले अशफाक उल्ला इस कार्रवाई के विरोध में थे लेकिन दल के बहुमत के आगे उन्हें सब की बात माननी पड़ी। अशफाक और बिस्मिल की दोस्ती और साझी शहादत- साझी विरासत दुनिया में कौमी एकता की एक अनूठी मिसाल प्रस्तुत करती है। शुरुआत में राम प्रसाद बिस्मिल अशफाक उल्ला खां पर इतना विश्वास नहीं करते थे लेकिन अशफाक ने अपनी प्रतिबद्धता से उनके दिल में एक विशेष जगह बना ली। रामप्रसाद और अशफाक एक ही थाली में भोजन करते थे हिंदू मुस्लिम एकता की इससे बड़ी मिसाल नहीं मिल सकती । आज उनके विचार पहले से भी ज्यादा प्रासंगिक हैं और देश में एकता और भाईचारे के लिए उनके विचारों की उपयोगिता आज पहले से भी ज्यादा बढ़ गई है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कारागार अधीक्षक मिजाजी लाल ने अमर शहीदों की स्मृतियों को याद कर उनको वैचारिक श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि आज जो हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं यह उन्हीं क्रांतिकारियों के बलिदान और संघर्ष का परिणाम है। 'इप्टा' संरक्षक वरिष्ठ रंगकर्मी जरीफ मलिक आनंद ने कहा कि आज देश में जिस तरह का माहौल है उस अविश्वास के माहौल में रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां की विचारधारा उनकी दोस्ती हमें कौमी एकता का सही रास्ता दिखा सकती है । कवि ज्ञानेंद्र मोहन ज्ञान ने कहा कि क्रांतिकारियों के बताएं रास्ते पर चलकर ही हम उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं। आर एल श्रीवास एडवोकेट ने अशफाक और बिस्मिल की विरासत पर काव्य पाठ कर सबको भाव विभोर कर दिया। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार सुयश सिन्हा, समाजसेवी महबूब इदरीसी, लेखिका कविता भारत, रंगकर्मी कृष्ण कुमार श्रीवास्तव, कप्तान कर्णधार, शालू यादव, सुहेल मोहम्मद, शिवओम चौहान, राजकुमार राठौर, डॉ नवनीत कुमार, असगर यासिर, राम रतन वर्मा आदि ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के आयोजन में सहायक अभियंता लोक निर्माण विभाग सुरेंद्र कुमार राठौर और जिला कमेटी के अजय राठौर, अनुराग राठौर, अमित श्रीवास्तव, दुर्गेश कुमार, अनिल राठौर खिलाड़ी, सुनील राठौर, श्रीकांत वर्मा आदि का विशेष सहयोग रहा। अंत में सभी का आभार जिलाध्यक्ष संजय कुमार राठौर ने व्यक्त किया।

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