स्मरणांजलि- विमल लाठ
कालीदास सम्मान से सम्मानित एवं नेशनल स्कूल आफ ड्रामा समिति के सदस्य प्रख्यात रंगकर्मी श्री विमल लाठ जी को उनके 84वें जन्मदिन पर स्मरणांजलि स्वरूप एक अद्याक्षरी एवं एक
कुण्डलिया आप के श्री चरणों में सादर समर्पित-
*अद्याक्षरी-- श्री विमल लाठ*
*श्री*-- श्रीयुक्त विमल लाठ जी,प्रज्ञा पुरुष महान
*वि*---विहँस उठा परिवार भी, पा ऐसी संतान
*म*--- मन में था भारत बसा,परहित का ही ध्यान
*ल*--- *लक्ष्य एक* लेकर चले, भारत बने महान
*ला*--लाग लपेट किया नहीं,सरल स्वच्छ आचार
*ठ*---ठगना तो जाने नहीं, ठगे स्वयं सौ बार
कुण्डलिया
बेबाकी विमल लाठ
बेबाकी से जो कहा- किया स्वयं वह काम
हिन्दू हिन्दी हिन्द का- *विमल* ने रखा नाम
*विमल* ने रखा नाम, काम कुछ ऐसा ठाना
*लक्ष्य एक* ले चला, जगत ने लोहा माना
कहते *गिरिधर राय-* काम छोड़ा ना बाकी
ठान लिया जो किया, रहा सबसे बेबाकी
डॉ. गिरिधर राय
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