🔘 शिक्षकों के प्रति सरकार मानवीय दृष्टिकोण अपनाये*
🔘 शिक्षकों की जायज समस्याओं को सुने सरकार न करें नजरअंदाज
🔘 अव्यवहारिक आदेश वापस ले सरकार, न करे सौतेला व्यवहार
दिनाँक 15 जुलाई 2024, लखीमपुर खीरी। शिक्षक शिक्षा मित्र अनुदेशक कर्मचारी संयुक्त मोर्चा उत्तर प्रदेश की लखीमपुर खीरी इकाई के तत्वाधान में आज शिक्षकों ने भारी संख्या में संयुक्त मोर्चा के संयोजक मंडल के नेतृत्व में मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा।
ज्ञापन में कहा गया कि महानिदेशक स्कूल शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा प्रदेश के बेसिक शिक्षकों की आन लाइन डिजिटल उपस्थिति हेतु आदेश दिए गए हैं। इस अव्यवहारिक आदेश को लागू करने के लिए शिक्षकों पर दंडात्मक कार्यवाही का भय दिखाकर उपस्थिति देने के लिए बाध्य किया जा रहा है। बंद कमरों में बैठकर ऐसा अव्यवहारिक आदेश जारी करने से पहले शिक्षक प्रतिनिधियों से बात कर लेना भी आवश्यक नहीं समझा कि आनलाइन उपस्थिति में जमीनी स्तर पर क्या क्या समस्या हो सकती है। प्रदेश के बहुत से ऐसे क्षेत्र आज भी हैं जहां कोई भी नेटवर्क नहीं आता, बहुत से विद्यालय ऐसे हैं जहां छत पर चढ़कर नेटवर्क तलाशना पड़ता है, प्रदेश के बहुतेरे विद्यालय ऐसी जगहों पर स्थित है जहां पहुंचने के लिए कई सवारियां बदलनी पड़ती है बहुतेरे विद्यालयो की भौतिक स्थिति ऐसी है जहां बरसात के मौसम में जलभराव हो जाता है उत्तम प्रदेश होने के बावजूद बहुत से ही विद्यालयो में पहुंचने के लिए आज भी पैदल ही जाना पड़ता है, कई जगह रास्ते तक नहीं है । कहने का आशय यह है हम सबको कान्वेंट और अन्य सरकारी विभाग से तुलना करना उचित नही है। हम सबके पास भौतिक सुविधाओं का अभाव है हमारी समस्याओं को जमीनी स्तर पर उतर कर देखिए, घर से विद्यालयो की दूरी लगभग 10 से 60-70 किमी की है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने के लिए कोई आवास की सुविधा भी नही है घर से निकल कर विद्यालय तक पहुंचने में कभी क्रासिंग का बंद हो जाना, कभी वेवजह जाम का सामना करना, कभी भारी बारिश का आ जाना, कभी आंधी-तूफान से प्रभावित होना, कभी घने कोहरे का सामना करना, कभी कभी गाड़ी आदि का रास्ते में धोखा दे जाना, कभी अपने ही साथियों के साथ सड़क पर दुर्घटना आदि का हो जाना, तो क्या ऐसी स्थिति में हम मानवता को ताक पर रखकर उसकी मदद भी ना करें, ऐसे ही बहुत सी दिक्कतों का सामना ना चाह कर भी करना पड़ जाता है। हमारे पास कोई भी हाफ डे सी एल नही है हो सकता है किसी कारणवश सुबह देर हो जाए या फिर विद्यालय आने के बाद कोई
दिक्कत आ जाए ऐसे में विद्यालय पहुंचने के बाद भी हम अनुपस्थित माने जाएंगे। आज भी यदि किसी शिक्षक को शादी करनी हो तो उसे अपने शादी के लिए मेडिकल लीव लेना पड़ता है। हिंदू रीति रिवाज में यदि घर में कोई घटना घटित हो जाए तो उसके पास ऐसा कोई अवकाश नही है कि वह तेरह दिवसीय संस्कारों को पूर्ण कर सके ऐसी बहुत सी तार्किक/व्यावहारिक समस्याएं हैं जिनका समाधान विभाग द्वारा नही किया जा रहा। पदोन्नति बीरबल की खिचड़ी हो गई, अन्तर्जनपदीय/अंतः जनपदीय स्थानान्तरण तक नही हो पा रहे हैं। शिक्षकों के पास कोई भी मेडिकल फैसिलिटी नही है जिससे वह किसी भी गंभीर बीमारी में अपना या अपने परिवार का इलाज करा सके ऐसे ही बहुत सी मांगों को पूरा करने के बजाय डिजिटल हाजिरी के नाम पर शिक्षकों का उत्पीडन किया जा रहा है।
हमारा उद्देश्य विभागीय कार्यों में अवरोध उत्पन्न करना नहीं है हमारे बेसिक शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक विपरीत परिस्थितियों में शिक्षण से इतर हर विभाग के कार्यों में सहयोग करते हैं। निर्वाचन आयोग कई बार कह चुका है कि बेसिक शिक्षक अन्य से बेहतर कार्य को अंजाम देते हैं। पिछले कई वर्षों से बेसिक शिक्षक अपने व्यक्तिगत मोबाइल/सिम/डाटा आदि से विभागीय कार्य में सहयोग न कर रहे होते सरकार की DBT जैसी महत्वाकांक्षी योजना जमीन पर न उतर पाती । बिना कन्वर्जन कास्ट व बिना फल लागत के कभी MDM बाधित नही हुआ। इसके बावजूद शिक्षकों की कर्तव्यनिष्ठा पर संदेह कर अपमानित करने की कोशिश की जा रही है। पिछले एक दशक से बेसिक शिक्षकों की दोही जायज समस्याओं को भी अनसुना किया जा रहा है। यदि विभाग वास्तव में बुनियादी शिक्षा/ निपुण भारत के प्रति गंभीर है तो बेसिक शिक्षको की कठिनाईयों/समस्याओं को भी समझना होगा।
उपरोक्त समस्याओं पर बेसिक शिक्षा से सम्बन्धी समस्त संगठन एकमत हैं और सभी ने मिलकर एक मंच शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक कर्मचारी संयुक्त मोर्चा उत्तर प्रदेश द्वारा आप तक समस्या पहुँचाने का प्रयास है।
अपनी समस्याओं के समर्थन में विभागीय व्यवहार से क्षुब्ध जनपद खीरी के हजारों शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक जिला मुख्यालय पर एकत्रित होकर जिलाधिकारी के माध्यम से अपना ज्ञापन मुख्यमंत्री को प्रस्तुत कर रहे हैं। संयुक्त मोर्चा ने अपनी मांगे लघुकृत करते हुए र तार्किक समस्याओं का 7-सूत्रीय मांग पत्र विचारार्थ मुख्यमंत्री तक प्रेषित कर रहे हैं। उपरोक्त मांगों को प्रथम दृष्टया संज्ञान लेते हुए हुए इनका निस्तारण कराने का कष्ट करें और व्यवहारिकता के विपरीत किये गए ऑनलाइन डिजिटल उपस्थिति का आदेश को निरस्त कराने का कष्ट करें।
समस्याओं के निस्तारण न होने की स्थिति में शिक्षक शिक्षा मित्र अनुदेशक कर्मचारी संयुक्त मोर्चा उ.प्र. अपने समस्त घटक मोर्चे के साथ 29 जुलाई 2024 को महानिदेशक कार्यालय प्रांगण, लखनऊ में व्यापक धरना प्रदर्शन हेतु विवश होगा और समस्याओं का समाधान न होने की स्थिति में धरना प्रदर्शन अनिश्चितकालीन के लिए बढ़ाया जा सकता है।
🔘 संयुक्त मोर्चा के मांग-पत्र/ ज्ञापन में 7 सूत्रीय मांग रखी गयी है-
1. ऑनलाइन डिजिटल उपस्थिति शिक्षकों की सेवा के परिस्थियों के दृष्टिगत अव्यवहारिक, नियमो व सेवाशर्तों के विपरीत है इसे तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाय ।
2. सभी परिषदीय शिक्षक शिक्षणत्तर कर्मियों को अन्य कर्मचारियो की भांति प्रति वर्ष 30अर्जित अवकाश, 15 हाफ डे सी०एल०, अवकाश अवधि में विभागीय, सरकारी कार्य हेतु बुलाने पर प्रतिकार अवकाश अवश्य प्रदान किये जायं । अर्जित अवकाश की व्यवस्था न होने से शिक्षक विवाह, 13-दिवसीय संस्कार, परिजन के अस्पताल में भर्ती आदि में कौन सा अवकाश लेंगे।
3. समस्त शिक्षक कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल की जाय क्योंकि अभी हमारे कई शिक्षक साथी सेवानिवृत्त हुए हैं जिनकी पेंशन मात्र 1000-2000 बन रही है कैसे बुढ़ापा काटेंगे जब उन्हें धन की सबसे अधिक आवश्यकता होती है।
4. सभी विद्यालयों में प्रधानाध्यापक का पद बहाल करते हुए वर्षों से लंबित पदोन्नति प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण की जाय और पदोन्नति प्राप्त शिक्षकों को पदोन्नति तिथि से ग्रेड पे के अनुरूप न्यूनतम मूल वेतन 17140/18150 निर्धारित किया जाय। साथ ही शिक्षक/शिक्षिकाओं को उनके मूल जनपद ऐच्छिक जनपद में स्थानांतरण का अवसर दिया जाय ।
5. शिक्षामित्र अनुदेशक जो वर्षों से अल्प मानदेय पर विभाग को पूर्णकालिक सेवाएँ दे रहे हैं उन्हें नियमित किया जाय और जब तक यह कार्य पूर्ण नहीं होता समान कार्य समान वेतन के आधार पर मानदेय निर्धारित किया जाय । बिहार की तरह चिकित्सीय अवकाश का लाभ उन्हें भी दिया जाय।
6. आर०टी०ई० ऐक्ट 2009 व राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में परिषदीय शिक्षकों को समस्त गैर शैक्षणिक कार्यों से तत्काल मुक्त किया जाय। ऐसे कार्यों की बहुत लम्बी फेहरिश्त है। साल भर चलने वाला BLO कार्य, MDM, समस्त ऑनलाइन कार्य आदि सब भी इसी श्रेणी में आते हैं।
7. समस्त परिषदीय शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों को सामूहिक बीमा, प्रीमियम मुक्त कैशलेस चिकत्सा सुविधा से आच्छादित किया जाय। शायद यह अकेला ऐसा विभाग है सामूहिक बीमा व चिकत्सा की कोई सुविधा नहीं है। अभी भी एक लाख से अधिक विद्यालयों के छात्र छात्राएं जमीन पर बैठते हैं उनके लिए डेस्क बेंच आदि की व्यवस्था की जाय।
संयुक्त मोर्चा का प्रतिनिधित्व संयोजक मंडल ने किया जिसमें जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष विनोद मिश्रा, जिला महामंत्री संतोष भार्गव, मंडल अध्यक्ष राम प्रकाश त्रिवेदी, उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राकेश मिश्रा, जिला मंत्री विश्वास सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजय मिश्रा, उ. प्र. महिला शिक्षक संघ की जिलाध्यक्ष आभा शुक्ला, जिला मंत्री नमिता श्रीवास्तव, आदर्श समा.शि.शिक्षा मित्र एशो.के प्रांतीय उपाध्यक्ष और जिलाध्यक्ष संजय मिश्रा, जिला महामंत्री राजेश कुमार, अटेवा के प्रदेश संगठन मंत्री संदीप वर्मा, जिला संयोजक विश्वनाथ मौर्य, जिला महामंत्री मनोज वर्मा, विशिष्ट बीटीसी शि. बे. एशो. के जिलाध्यक्ष चंद्र मोहन श्रीवास्तव, टीएससीटी के प्रदेश उपाध्यक्ष रितेश मिश्रा, जिला संयोजक नीरज वर्मा, पूर्व माध्यमिक अनु. अनु. कल्याण समिति के जिलाध्यक्ष धीरज वर्मा, जिला महामंत्री कृष्ण त्रिपाठी, परि.अनुदेशक कल्याण संघ की प्रदेश अध्यक्ष प्रिया दीक्षित, बे. शि. बे. एशो. के जिलाध्यक्ष संजय यादव, उ. प्र.अनु. शि. बे. एशो. के जिलाध्यक्ष अजय मिश्रा आश्रित कल्याण संघ के जिलाध्यक्ष सुयश प्रकाश, मीडिया प्रभारी आशीष श्रीवास्तव, त्रिलोकी राज, अंशिका दुबे, गौरव मिश्रा, सौरभ प्रजापति, सभी शैक्षिक संगठनों के जिला कार्यकारिणी के पदाधिकारी, ब्लॉक अध्यक्ष, मंत्री, कार्यकारिणी सदस्य एवं हजारों की संख्या में शिक्षक शिक्षा मित्र अनुदेशक और कर्मचारी उपस्थित रहे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Post Comments