पहिले भईंस के सींग पकड़ के चढ़त रही,अब उड़न खटोला, मजेदार है लालू की हेलिकॉप्टर वाली ये कहानी
राजनीति के धुरंधर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव आज अपना 77वां जन्मदिन मना रहे हैं। लालू प्रसाद यादव ने अपने परिवार के साथ केक भी काटा।लालू का जन्म 11 जून 1948 बिहार के गोपालगंज जिले के फुलवरिया गांव में हुआ था।लालू कई बार यह कहते हुए नजर आए हैं कि हमारा जन्म 1948 में हुआ और मेरे डर से अंग्रेज 1947 में ही भाग गया।लालू से जुड़े कई दिलचस्प किस्से हैं,लेकिन आज हम आपको एक रोचक किस्से के बारे में बताएंगे।1990 में बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया है और यहीं से बिहार में कांग्रेस का पतन शुरु हुआ जो आज तक जारी है। जगन्नाथ मिश्रा बिहार में कांग्रेस के आखरी सीएम रहे। उसी समय का एक किस्सा है। 10 मार्च 1990 को लालू पटना के गांधी मैदान में मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण किया। यह पहली बार हुआ जब किसी मुख्यमंत्री ने राजभवन के बजाय गांधी मैदान में शपथ ग्रहण किया।1990 में लालू प्रसाद यादव को बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी के साथ-साथ एक हेलीकॉप्टर भी मिला जिसका जिक्र लालू कई बार अपने भाषणों में कर चुके हैं।अपने मजाकिया अंदाज में लालू मंच से कई बार कह चुके हैं,ई उड़न खटोला (हेलीकॉप्टर) जगन्नाथ बाबू खरीदले रहन,अब हम चढ़ तानी, पहिले भईंस के सींग पकड़ के चढ़त रही,अब ई उड़न खटोला पर चढ़त बानी।
दरअसल जब बिहार के मुख्यमंत्री डॉक्टर जगन्नाथ मिश्रा थे तो उन्होंने सरकारी कामों के लिए एक हेलीकॉप्टर खरीदा था, लेकिन संयोग से जब पटना एयरपोर्ट पर इसकी डिलीवरी हुई तो अगले दिन जगन्नाथ मिश्रा की सरकार चली गई और वे मुख्यमंत्री नहीं रहे।इसके बाद लालू ने जब बिहार की सत्ता संभाली तो उन्हें जगन्नाथ मिश्रा के खरीदे हेलीकॉप्टर पर चढ़ने का मौका मिला और लालू इस किस्से को मजाकिया अंदाज में कई बार बता चुके हैं।लालू यादव का सदन में दिया गया वो भाषण भी बेहद याद किया जाता है, जब लालू ने अटल बिहारी वाजपेयी को कह दिया था कि अब प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़ दो।लालू ने कहा था- नेहरू(पंडित जवाहर लाल नेहरू) ने आपके (अटल बिहारी वाजपेयी) बारे में यह भविष्यवाणी की थी कि आप एक दिन इस देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।आप एक बार प्रधानमंत्री बने, फिर दूसरी बार बने अब आप दो बार प्रधानमंत्री बन चुके हैं।अब तो देश की जान छोड़िए।लालू का ये कहने का अंदाज इतना मजाकिया था कि अटल बिहारी वाजपेयी भी ठहाके मार के हंसने को मजबूर हो गए।
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