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शुक्रवार, 21 जून 2024

आज है उद्घाटन नालंदा विश्व विद्यालय का, जिसे बख्तियार खिलजी ने लगवा दी थी आग

आज है उद्घाटन नालंदा विश्व विद्यालय- जिसे बख्तियार खिलजी ने लगवा दी थी आग, सन 1199 ई. से सन 2024 तक 825 साल तक का लंबा सफर...

पटना तुर्की शासक बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय में आग लगवा दी थी। कहा जाता है कि विश्व विद्यालय में इतनी पुस्तकें थी की पूरे तीन महीने तक यहां के पुस्तकालय में आग धधकती रही। उसने अनेक धर्माचार्य और बौद्ध भिक्षु मारवा डाले। खिलजी ने उत्तर भारत में बौद्धों द्वारा शासित कुछ क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया था। इतिहासकारों के अनुसार एक समय बख्तियार खिलजी बहुत ज्यादा बीमार पड़ गया। उसके हकीमों ने इसका काफी उपचार किया पर कोई फायदा नहीं हुआ। तब उसे नालंदा विश्वविद्यालय के आयुर्वेद विभाग के प्रमुख आचार्य राहुल श्रीभद्रजी से उपचार कराने की सलाह दी गई। उसने आचार्य राहुल को बुलवा लिया तथा इलाज से पहले शर्त लगा दी की वह किसी हिंदुस्तानी दवाई का सेवन नहीं करेगा। उसके बाद भी उसने कहा कि अगर वह ठीक नहीं हुआ तो आचार्य की हत्या करवा देगा। बख्तियार खिलजी ने 1199 में आग नालंदा विश्व विद्यालय में आग लगवा दी थी। उसका पूरा नाम इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी था। बिहार का वह मुगल शासक था।1199 में लगाई गई थी आग
अगले दिन आचार्य उसके पास एक कथाकथित पुस्तक लेकर गए और कहा कि वह इसकी पृष्ठ संख्या इतने से इतने तक पढि़ए ठीक हो जाएंगे। उसने पढ़ा और ठीक हो गया। उसको खुशी नहीं हुई उसको बहुत गुस्सा आया कि उसके हकीमों से इन भारतीय वैद्यों का ज्ञान श्रेष्ठ क्यों है। बौद्ध धर्म और आयुर्वेद का एहसान मानने के बदले उसने 1199 में नालंदा विश्वविद्यालय में ही आग लगवा दी। वहां इतनी पुस्तकेंं थीं कि आग लगी भी तो तीन माह तक पुस्तकेंं जलती रहीं। उसने हजारों धर्माचार्य और बौद्ध भिक्षु मार डाले। खिलजी के ठीक होने के जो वजह बताई जाती है वह यह है कि वैद्यराज राहुल श्रीभद्र ने उस पुस्तक के कुछ पृष्ठों के कोने पर एक दवा का अदृश्य लेप लगा दिया था। वह थूक के साथ मात्र दस- बीस पेज चाट गया और ठीक हो गया। उसने इस एहसान का बदला नालंदा को जलाकर दिया।

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