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गुरुवार, 20 जून 2024

बिहार / जाँच करने पहुचे इंजिनियर ने पुल गिरने का ज़िम्मेदार बताया नदी को ...... पूरा पढ़ें

बिहार के अररिया जिले में बकरा नदी पर बने 12 कर्रोड़ की लागत का पुल उद्घाटन से पहले ही गिरने की, जाँच करने पहुचे इंजिनियर ने पुल गिरने का ज़िम्मेदार बताया नदी को

 बिहार के अररिया जिले में बकरा नदी पर बना पुल अचानक ढह गया था। इसका वीडियो भी सामने आया था। गनीमत ये रही कि पुल गिरने के दौरान कोई इसकी चपेट में नहीं आया।  अररिया जिले के कुर्साकांटा और सिकटी इलाके को जोड़ने वाला ये पुल बकरा नदी पर बनाया गया था। बिहार के ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा लगभग 12 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए इस पुल को अब तक लोगों के लिए नहीं खोला गया था। मतलब उद्घाटन से पहले ही ये पुल गिर गया।
वहीं इस मामले में जिस अधिकारी को निरीक्षण करने की जिम्मेदारी मिली, उन्होंने बकरा नदी की ‘प्रवृत्ति’ को पुल गिरने की वजह बताया है। आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक ये बयान ग्रामीण कार्य विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर आशुतोष कुमार रंजन का है। उनका कहना है कि नदी के रास्ता बदलने की प्रवृत्ति पुल गिरने का कारण हो सकती है। दिलचस्प बात ये कि उन्होंने पुल को तैयार करने के तरीके और उसके निर्माण में इस्तेमाल की गई सामग्री को लेकर अब तक कुछ नहीं कहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी से जब पुल गिरने की वजह पूछी गई, तो उन्होंने कहा, ‘वजह….! चूंकि कोसी जोन में बकरा नदी की बार-बार मिएन्ड्रिंग (घुमाव) की प्रवृत्ति रही है। पहले भी कई हादसे यहां पर हुए हैं। हो सकता है कि नदी की जो पुरानी प्रवृत्ति रही है उसके कारण कुछ इश्यू आया होगा। जांच के बाद ही सही कारण पता चल पाएगा।’
घटना के बाद RWD के अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा, ‘पुल का ढहना एक गंभीर मामला है और डिपार्टमेंट ने इस प्रोजेक्ट से जुड़े तीन सीनियर अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की है। RWD ने चीफ इंजीनियर (पूर्णिया) की अध्यक्षता में एक हाई लेवल कमिटी बनाई है, जो पुल ढहने के कारणों का पता लगाएगी और जरूरी उपाय सुझाएगी। कमिटी को सात दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।’
वहीं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पुल गिरने की घटना पर X पर एक पोस्ट किया। इसमें उन्होंने साफ किया कि अररिया जिले में ढहे पुल का निर्माण केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत इस पुल का काम चल रहा था।

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