पुवायां,शाहजहांपुर। श्री सिद्ध बाबा देवस्थान पर तृतीय वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य में श्रीमद्भागवत कथा महापुराण के पंचम दिवस रुक्मणी विवाह का प्रसंग सुनाया गया।
पं. हरिदास कौशल महाराज ने रुक्मणी विवाह पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आत्मा से परमात्मा का मिलन ही रुक्मिणी विवाह का सार है।
उन्होंने कहा कि विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री रुकमणी बुद्धिमान ,सुंदर और सरल स्वभाव वाली थीं। पुत्री के विवाह के लिए पिता भीष्मक योग्य वर की तलाश कर रहे थे। राजा के दरबार में जो कोई भी आता वह श्री कृष्ण के साहस और वीरता की प्रशंसा करता। श्री कृष्ण की वीरता की कहानियां सुनकर देवी रुक्मणी ने उन्हें मन ही मन अपना पति मान लिया था। मंगलवार 18 जून से शुरू हुई श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा के पांचवें दिन तमाम श्रद्धालु और श्रोतागण उपस्थित रहे। इस अवसर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष पवन कश्यप ने बताया कि 25 जून मंगलवार को पूर्णाहुति और भंडारे के साथ श्रीमद्भागवत कथा सम्पन्न होगी। इस अवसर पर सभासद मदनपाल ,सुधीर मिश्रा ,सभासद आदर्श पटेल ,निरंकार गुप्ता, रामबाबू ,कालीचरण ,सर्वेश गुप्ता, नरेश सिंह चौहान, बबलू, ओम बाजपेई ,आदित्य मौर्य, रामविलास ,राम बहादुर, कृपाशंकर सर्वेश कटियार ,विक्रम, राज मिश्रा, नीतीश तिवारी आदि उपस्थित रहे।
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