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गुरुवार, 13 जून 2024

काव्य कलिका : " रहें खुश, खुशियां दें " - राम मोहन गुप्त


है सच तनाव जीवन का अंग
सोंच हमारी ही हमें सताती हैं
छोटी-बड़ी बातें करती है तंग
दिन-रात चुभतीं, तड़पाती हैं

है भला, रखें संयम स्वयं पर
बात-बात में ना होंवें परेशान
सोंच-सकारात्मक विश्वास से
सदा..खुश रह सकता इंसान

हो तनाव दबाव जब भी ज्यादा
मित्र-परिजनों से मनोभाव बांटें
गीत-संगीत, ध्यान - व्यायाम से
दिल-दिमाग़ की बदली को छांटे

सदा रहे ध्यान, तनाव है क्षणिक
मिटना-हटना है, मिट ही जाएगा
अति दबाव में बचकर निराशा से
जीवन में पल खुशियों का आएगा

इस लिए होकर अति भावुक
कभी भी कोई ऐसा निर्णय न लें
जीवन है अमूल्य संग परिवार
खातिर इसकी रहें खुश खुशियां दें

✍🏻रामG 
*राम मोहन गुप्त 'अमर'* 
लखीमपुर खीरी

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