● सदियों में पैदा होते हैं रविन्द्रनाथ ठाकुर : गिरिधर राय
कोलकाता, 09 मई -"किसी कवि की कविता की उद्धरणीयता से उसके महत्त्व का पता चलता है। 'एकला चलो रे' जैसी सैकड़ों बहुउद्धरणीय पंक्तियों के उद्घोषक कवीन्द्र रवीन्द्र जैसे कवि सदियों में पैदा होते हैं।" ये उद्गार हैं राष्ट्रीय कवि संगम पश्चिम बंगाल के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. गिरधर राय के, जो कि विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता कवीन्द्र रविंद्र की जयंती के अवसर पर बोल रहे थे।
राष्ट्रीय कवि संगम, पश्चिम बंगाल की उत्तर 24 परगना इकाई के तत्वावधान में रवीन्द्र जयन्ती के शुभ अवसर पर एक भव्य कवि सम्मेलन का कार्यक्रम प्रांतीय अध्यक्ष डॉ.गिरिधर राय की अध्यक्षता में आभासी पटल पर आयोजित हुआ। कार्यक्रम का आरंभ रमाकांत सिन्हा की मधुर सरस्वती वंदना एवं जिला अध्यक्ष राजीव मिश्र के स्वागत भाषण से हुआ। काव्य गोष्ठी में शामिल प्रमुख रचनाकारों में - मधुमिता बनर्जी, प्रांतीय महामंत्री रामपुकार सिंह, झूमा गुप्ता, भारती मिश्रा, सुषमा राय पटेल, रेखा रजक, युवा कवि शिविर धनधानिया, रुपम महतो, पुष्पा मिश्रा ने स्वरचित रचनाओं का पाठ ऐसे अन्दाज में किया कि सभी श्रोतागण काव्य रस में सराबोर होकर झूम उठे। प्रांतीय सह-महामंत्री बलवंत सिंह गौतम ने अपन वक्तव्य में आयोजकों एवं रचनाधर्मियों की तारीफ की। श्रोता के रूप में पूर्व संरक्षक जयगोपाल गुप्ता, प्रांतीय उपाध्यक्ष श्यामा सिंह , जिलाध्यक्ष हिमाद्रि मिश्रा, किरन सिंह, स्वाति भारद्वाज, कमलेश जी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन एवं कुशल संचालन कंचन राय द्वारा किया गया। पुष्पा मिश्रा ने सभी रचनाकारों, अतिथियों और श्रोताओं को अपना अमूल्य समय देकर कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु हार्दिक धन्यवाद ज्ञापन किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Post Comments