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बुधवार, 15 मई 2024

कानूनन अपराध है तोते या किसी अन्य पक्षी को पिंजड़े में कैद करके रखना और उससे किसी भी तरह का लाभ लेने के लिए प्रशिक्षण देना

तोते या किसी अन्य पक्षी को पिंजड़े में कैद करके रखना और उससे किसी भी तरह का लाभ लेने के लिए प्रशिक्षण देना कानूनन अपराध

प्रयागराज तोता पालना तो देश में कॉमन है, ऐसे में उसको पिंजड़े में रखना भी अपराध है वाइल्डलाइफ एक्ट के मुताबिक, तोते या किसी अन्य पक्षी को पिंजड़े में कैद करके रखना और उससे किसी भी तरह का लाभ लेने के लिए प्रशिक्षण देना कानूनन अपराध है। भारत में कानून इजाजत नहीं देता कि किसी भी पक्षी को कैद करके रखा जाए।आम तौर पर नागरिक तोतों को पालतू पक्षी मानते हैं लेकिन वन्यजीव अधिनियम 1972 की धारा-4 के तहत इसे या किसी भी अन्य पक्षी को पिंजरे में कैद रखना या पालना गैरकानूनी है।वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत तोता को पालना या पिंजरे में कैद करना दंडनीय अपराध है। यदि किसी व्यक्ति ने तोता पाल रखा हो या उसे पिंजरे में कैद रखा हो तो वन विभाग के नजदीकी कार्यालय में सुपुर्द कर दें।देश भर में तोतों की करीब एक दर्जन प्रजातियां मौजूद हैं और सभी संरक्षित हैं। नियमानुसार तोतों को पालने के लिए वन विभाग की अनुमति जरूरी होती है, लेकिन उन्हें पिंजरे में बंद करने वाले यह अनुमति नहीं लेते हैं।
लोग शौकिया तौर पर पिंजरों में रंग-बिरंगे पक्षियों को घरों में पालते हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर नहीं जानते कि वे इन पक्षियों को पालकर अपराध कर रहे हैं। देशी तोते के पालने पर प्रतिबंध हैं तो विदेशी पक्षियों को रखने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। ज्यादातर पक्षी प्रेमी घरों में देशी तोते पाले जाते हैं। वन्यजीव अधिनियम 1972 के तहत तोता पालने पर प्रतिबंध है। इनके गले में अंगूठी की तरह अलग रंग होने के कारण इन्हें रिंग नैक कहा जाता है।विदेशी तोता सहित अन्य विदेशी पक्षी घरों में रखे जा सकते हैं, लेकिन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। वन विभाग ने जागरुकता अभियान चलाया था, मगर गिनती के रजिस्ट्रेशन हुए हैं। जबकि शहर में 100 से ज्यादा दुकानों पर विदेशी पक्षियों की खरीदी-बिक्री हो रही है। इन पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी है। अधिकारियों का कहना है कि विदेशी पक्षी बेचने और खरीदने वालों की जानकारी जुटाई जा रही है। रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर कार्रवाई की जाएगी। जंगली तोतों के साथ कई घरों में मकाऊ, अफ्रीकी तोते, कछुए भी बगैर रजिस्ट्रेशन के पाले जा रहे हैं।

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