राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित थीं कृष्णा बाजपेई
1991 में राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा ने स्काउट्स गाइड के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए किया था सम्मानित
शाहजहांपुर/ मुरादाबाद।
वैरागी यह देखकर,खड़ा रह गया मौन।
विधि के लिखे विधान को,टाल सका है कौन?
कहते हैं कि जो प्रभु ने हमारी किस्मत में लिख दिया है वह अमिट है। उसे बदल पाना किसी साधारण मनुष्य के बस की बात नहीं है।
ऐसा ही एक वाकया है राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित मुरादाबाद मण्डल की पूर्व स्काउट्स कमिश्नर और मुरादाबाद के कौशल्या देवी कन्या इण्टर कॉलेज की प्रवक्ता रहीं कृष्णा बाजपेई की ज़िंदगी से जुड़ा।
कृष्ण बाजपेई अपनी सरकारी सेवा से निवृत होकर वहीं कॉलेज कैंपस में बने आवास में जीवन के आखिरी पड़ाव को एकाकी तरीके से जी रही थीं।
क्योंकि परिवार में न तो बच्चे थे और न ही पति।
उनकी अंतिम इच्छा भगवान राम के भव्य और दिव्य अयोध्या धाम दर्शन करने की थी।
आपको बता दें कि 82 वर्षीय कृष्णा पांडेय पु्वायां निवासी जनपद के प्रतिष्ठित चिकित्सक डॉ राजीव पांडेय की मौसी थीं।
डॉ राजीव पांडेय ने शुरुआती दिनों में उनके सानिध्य में रहकर ही अपनी शिक्षा -दीक्षा पूर्ण की थी।
जिसके चलते वे उनसे विशेष प्रेम करतीं थीं। डॉ साहब के अनुरोध पर ही वे उनके परिवारी जनों के साथ भगवान रामचन्द्र जी के दर्शन के लिए गुरुवार 23 मई को अयोध्या प्रस्थान करना था इसलिए दो दिन पहले ही मंगलवार 21 मई को घर से तैयारी करके पु्वायां आ गईं थीं।
लेकिन विधि को कुछ और ही मंज़ूर था।
अगले ही दिन उनकी तबीयत बिगड़ी तो जनपद के सुप्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ राजीव पांडेय ने उन्हें यात्रा न करने की सलाह दी।
अतः उस यात्रा को तत्काल स्थगित करना पड़ा।
और अंततः शनिवार 25 मई को डॉ राजीव पांडेय के आवास पर हृदय गति रुकने से सायं 7:30 पर उन्होंने अंतिम सांस ली।
वे जीते जी अयोध्या धाम तो नहीं पहुंच सकीं लेकिन देहांत के बाद उनकी आत्मा परमात्मा में विलीन अवश्य हो गई और प्रभु भक्ति में अपनी लौ लगायें अयोध्या धाम दर्शन की चर्चा -परिचर्चा करते -करते राम के धाम को सिधार गईं।...
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