*"घर- परिवार"
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अपनों से बनता है घर
घर को भाए... परिवार
सारी दुनिया से अच्छा
अपना प्यारा घर-संसार
जब भी, जितना भी
बाटेंगे हम सब प्यार
वापस मिलेगा ही...
बढ़ कर..... हर बार
परिवार कहलाता वही
स्नेह-विश्वास हो जहां पर
परस्पर सामंजस्य संग
बंटते जहां सुख-दुख परस्पर
✍🏻 रामG
राम मोहन गुप्त 'अमर'
लखीमपुर खीरी
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