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मंगलवार, 14 मई 2024

ब्राह्मण,दलित और ओबीसी,पीएम मोदी ने नामांकन कर साधा 40 लोकसभा सीट पर चुनावी समीकरण

वाराणसी।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज मंगलवार को वाराणसी लोकसभा सीट से नामांकन किया।पीएम के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।इसमें पंडित गणेश्वर शास्त्री, बैजनाथ पटेल, लालचंद कुशवाहा और संजय सोनकर का नाम शामिल है।अब इन नामों के सामने आने के बाद सियासी अटकलें शुरू हो गई हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश की कई लोकसभा सीटों पर अभी मतदान होना है और इन सभी सीटों पर ओबीसी और दलितों का प्रभाव अधिक है।इसलिए इसको जातिगत वोट बैंक साधने का एक बड़ा कदम माना जा रहा है।उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल भी अपनी एक अलग सियासत लेकर आगे आता है।पूर्वांचल से लोकसभा की कुल 26 सीटें निकलती हैं। पूरे यूपी की 32 फीसदी आबादी पूर्वांचल में रहती है।यूपी का पिछड़ा इलाका भी पूर्वांचल माना जाता है। पूर्वांचल में किसान निर्णायक भूमिका में रहते हैं,लेकिन पिछड़ा होने के बाद भी देश को पांच प्रधानमंत्री देने वाला पूर्वांचल ही है। पूर्वांचल में राजभर, निषाद और चौहान जातियों का बोलबाला रहता है।
पूर्वांचल के बाद यूपी में किसी क्षेत्र को अगर सबसे बड़ा माना जाता है तो वो अवध है।इसे जानकार मिनी यूपी भी कहते हैं। अवध में किसी भी पार्टी के लिए जीत का मतलब होता है कि पूर्वांचल में भी अच्छा प्रदर्शन होने वाला है।अवध में ब्राह्माणों की आबादी 12 फीसदी के लगभग रहती है, 7 फीसदी ठाकुर और 5 फीसदी बनिया समाज,ओबीसी वर्ग का 43 फीसदी,यादव समाज 7 प्रतिशत,कुर्मी समुदाय भी 7 फीसदी है। अवध से कुल लोकसभा की 18 सीटें निकलती हैं।पूर्वांचल पिछड़ा इलाका होने के बावजूद यहां बिरादरी फर्स्ट, दल सेकंड और मुद्दा लास्ट है।विश्लेषक कहते हैं कि जातियों में गुंथी पूर्वांचल की राजनीति में हर सवाल का जवाब जाति ही है।फिर चाहे रोजगार,आरक्षण, विकास या कोई दूसरा मुद्दा हो। पूर्वांचल पिछड़ी, अति पिछड़ी, सवर्ण, दलित और MY समीकरण का कॉकटेल है।या यूं कहें छोटी-बड़ी राजनीतिक पार्टियों की लेबोरेटरी।गोरखपुर (ग्रामीण), संतकबीरनगर में निषाद जाति की मौजूदगी है।जौनपुर, आजमगढ़, कुशीनगर, देवरिया, बस्ती, वाराणसी में समुदाय की उपजातियां जैसे मांझी, केवट, बिंद, मल्लाह मिलती हैं।ये मछुआरों और नाविक समुदाय के लोग हैं।
गैर-यादव ओबीसी और गैर-जाटव दलित भी कई इलाकों में प्रभावशाली हैं और अक्सर चुनाव के नतीजे तय करते हैं।इसमें राजभर, कुर्मी, मौर्य, चौहान, पासी और नोनिया शामिल हैं। बरहाल राजभर समुदाय राज्य के कुल मतदाताओं का केवल 4 प्रतिशत है,लेकिन पूर्वांचल के कई जिलों खासतौर पर वाराणसी, आज़मगढ़, जौनपुर, मऊ, बलिया में राजभर प्रतिशत से 23 प्रतिशत वोटर हैं।
इसी तरह जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) नोनिया समुदाय पर प्रभाव रखती है। यूपी की आबादी का लगभग 2 प्रतिशत हिस्सा चंदौली, मऊ, गाज़ीपुर और बलिया जैसे पूर्वी यूपी के कुछ जिलों में 10- 15 प्रतिशत वोटर हैं।अपना दल का आधार कुर्मियों के बीच है,जो पूर्वांचल की आबादी का 9 प्रतिशत हैं और यादवों के बाद दूसरा सबसे बड़ा OBC हिस्सा हैं।अपना दल (कमेरावादी ) ने हाल ही में इंडिया गठबंधन का साथ छोड़ दिया है।वहीं अपना दल (सोनेलाल ) का गठबंधन एनडीए के साथ है।
यूपी में लगभग 20 प्रतिशत आबादी मुस्लिमों की है।आज़मगढ़, मऊ, बलिया, गाजीपुर, जौनपुर में इनकी संख्या ज्यादा है।इन इलाकों में MY समीकरण चलता है और दावेदारी सपा और बसपा की। बलिया विपक्ष की लिस्ट में इसलिए शामिल है क्योंकि 2019 लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा से सपा की हार का अंतर बहुत कम था। पूर्वांचल में दो ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम आबादी बड़ी संख्या में है।आजमगढ़ में 29 प्रतिशत और गाजीपुर में 26. 77 प्रतिशत। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने पूर्वांचल में गाजीपुर, जौनपुर और घोसी सीटें जीतीं थीं।यूपी में चौथे चरण के बाद अब पांचवें चरण का मतदान 20 म‌ई को होगा। इनमें मोहनलालगंज, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी, जालौन, झांसी, हमीरपुर, बांदा, फेतहपुर, कौशांबी, बाराबंकी, फैजाबाद, कैसरगंज और गोंडा लोकसभा सीट शामिल है।छठे चरण का मतदान 25 मई को होगा।इनमें सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, इलाहाबाद, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीर नगर, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछली शहर और भदोही लोकसभा सीट शामिल है।वहीं आखिरी चरण का मतदान महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट पर होगा।

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