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मंगलवार, 9 अप्रैल 2024

काव्य कलिका / चलो मनाऍं हम नववर्ष

चैत्र प्रतिपदा में लेना है सबको यह संकल्प
राष्ट्र जागरण धर्म हमारा दूजा नहीं विकल्प

सृजन सृष्टिका हुआ इसी दिन 
शुभारंभ   नवरात्रि   इसी दिन
सतयुग  का आरंभ  इसी दिन 
              दिग्-दिगंत में हर्ष ही हर्ष 
              यही तो है  हिन्दू  नववर्ष     

लक्ष्य करो निर्धारित मन में
उसे  करो   पूरा  जीवन में 
शूल मिलेंगे  हर  उपवन में 
             करते  रहना   है  संघर्ष
             चलो मनाएँ हम नववर्ष        

नव विकास में सभी  बह रहे        
कष्ट सभी को, सभी सह रहे        
विश्व पटल पर सभी कह रहे
               विश्वगुरु  है   भारतवर्ष 
              चलो मनाएँ हम नववर्ष       

दिखे समस्या खुद हल करना
कदम  मिलाकर  बढ़ते रहना
पड़े विश्व को खुद यह कहना 
                सबसे  न्यारा भारतवर्ष 
                चलो मनाएँ हम नववर्ष     

दिखा न कोई बिन अभाव का
असर सभी पर उस प्रभाव का
कष्ट  झेलता, खुद स्वभाव का
                दुखी देख औरों का हर्ष
                चलो मनाएँ हम नववर्ष      

चमक रही है शिव की काशी
घाटों  पर   दिखते  संन्यासी 
कहते  मिलकर  भारतवासी
                 करते  रहना  है  उत्कर्ष
                 चलो मनाएँ हम नववर्ष     

माने अपने को ही गुनिया 
मुठ्ठी में कर ली है  दुनिया 
मुझसे बोली  मेरी मुनिया 
              कैसे खत्म करें हम कर्ष
              चलो  मनाएँ हम नववर्ष        

मंजिल मिलती है जी चलकर
यश वैभव मिलता ना छलकर 
बढ़ते  रहना  अपने  बल  पर
                 जीवन तो है इक संघर्ष 
                 चलो मनाएँ हम नववर्ष    

प्राण  प्रतिष्ठा  हुई  निराली
पुष्प बिछाते मालिन माली
अवधपुरी में  पुनः दिवाली
              इससे  बड़ा न  दूजा  हर्ष
             आया असली अब नववर्ष
             चलो  मनाएँ  हम  नववर्ष

✍️ डॉ0 गिरिधर रॉय

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