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रविवार, 3 मार्च 2024

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए, लोगों की जान से खेलने जा रही है एलडीए

लखनऊ पहले तो तारीफ करेंगे उत्तर प्रदेश सरकार की, जिन्होंने एलडीए को एक मौका दिया है सड़क बनाने का। आज तक तो कभी नहीं सुना था कि एलडीए को मकान के निर्माण के अलावा सड़क भी बनाने दिया गया है। फिर भी मौका मिला एलडीए। योगी सरकार ने कुड़िया घाट से आईआईएम रोड तक के सड़क बनाने का काम एलडीए को दिया और एलडीए ने ठेकेदारों को सौंप दिया काम। आने वाले समय में इस सड़क का उद्घाटन प्रधानमंत्री आकर करेंगे। इस सड़क का नाम ग्रीन कॉरिडोर रखा गया है।ग्रीन कॉरिडोर में कुड़िया घाट से लेकर आईआईएम रोड तक, रोड की चौड़ीकरण का कार्य हो रहा है और इस रोड की चौड़ीकरण में घोटाला ही घोटाला है। आपको बताते हैं कैसे। कुड़िया घाट से गऊघाट चौकी के बीच में आ रहे नगर निगम का सरकटा नाला पंप हाउस को तो तोड़ ही दिया गया, पर जबकि इस पम्प हाउस के माध्यम से पुराने लखनऊ का जितना भी गंदा पानी है चाहे वह बरसात से आने वाला भारी मात्रा में पानी हो और चाहे वह सीवर का पानी हो, इसी सर कटा नाला पम्प हाउस के माध्यम से ही गोमती नदी में कचरा को फिल्टर करते हुए गोमती नदी में छोड़ा जाता है और उसी को तोड़कर एलडीए सड़क की चौड़ाई कर रही है। चलिए तोड़ तो दिया गया, लेकिन क्या इसका फाउंडेशन बनाया गया?, जवाब है नहीं। बगैर फाउंडेशन बनाएं पम्प हाउस है ही नहीं। जब पम्प हाउस नहीं है, तो आने वाले समय में सीवर का पानी, सीवर के ही माध्यम से वापस सज्जादबाग एवं आसपास के क्षेत्रों के घरों में वापस जा सकता है, जिससे गंदगी के साथ-साथ बीमारियां भी फैल सकती हैं। अगर बरसात हुई, तो भारी मात्रा में आने वाला पानी, सर कटा नाला पंप हाउस के चालू नहीं होने पर, वापस सीवर के माध्यम से घरों में चला जाएगा। सड़के भरी होंगी, गंदगी फैलती रहेगी और बीमारियां तोहफे के तौर पर मिलेगा।इस ग्रीन कॉरिडोर के कार्य में एलडीए की लापरवाही नहीं कहीं जा सकती है, बल्कि अधिकारियों से लेकर ठेकेदारों तक धांधली ही धांधली भरी हुई। सड़क के चौड़ीकरण में, सड़क के किनारे एक सपोर्टिव पिलर बनाया जाता है। जिससे कि मिट्टी जो डाली जा रही है वह आने वाले समय में खिसक के फैल ना सके। पर ठेकेदारों ने कुछ दूरी तक सपोर्टिव पिलर तो बनाया है लेकिन सज्जादबाग से लेकर कुड़ियाघाट तक के सपोर्टिव पिलर का नामोनिशान नहीं है। बस मिट्टी डाल दी जाए गई है, भरते जा रहे हैं दबाते जा रहे हैं और सड़क बन रही है। आने वाले समय में भारी वाहन का जब आवागमन होगा, तो सड़क ज़रूर धसेगी, तो मिट्टी को रोकने के लिए कोई सपोर्टिव पिलर जब नहीं होगा तो सड़क भी नीचे जाएगी इसका फायदा सरकार को फिट टेंडर निकाल के होगा। लेकिन अगर इसी बीच कोई हादसा हो जाता है तो सरकार जांच के एवज में बात को टालने में लग जाएगी।सड़क की चौड़ाई के दौरान आपको बता दें नगर निगम का सर कटा नाल पम्प हाउस को तोड़ तो दिए गया है लेकिन इस पम्प हाउस में लगे मशीनों के अलावा पाइप भी लगी हुई थी मशीनों से संपर्क करते हुए रोड के नीचे नीचे गंदे पानी को गोमती नदी तक पहुंचाने के लिए उपयोग की जाती है, लेकिन अब सड़क चौड़ीकरण में नगर निगम का पम्प हाउस को एलडीए और ठेकेदारों ने नहीं बक्शा, तो पाइप को क्यों छोड़ेंगे?, पाइप भी तोड़ दिया गया। आने वाले समय में मशीन अगर लगा भी देते हैं, तो पाइप निकालने के लिए फिर से रोड तोड़ा जाएगा। जो की सरकार को मंजूर नहीं होगा, क्योंकि प्रधानमंत्री उद्घाटन करके जाएंगे, तो सड़क क्यों तोड़ी जाए। हां यह हो सकता है कि आने वाले समय में जब सज्जादबाग एवं आसपास के क्षेत्र के लोग त्राहि त्राहि मचा रहे होंगे, तो गंदे पानी को लेकर नगर निगम फिर से कोई टेंडर खोल दे। उत्तर प्रदेश सरकार फिर से एलडीए को टेंडर दे दे। यह हो सकता है, क्योंकि पैसे की बर्बादी करने में योगी सरकार तो आगे है ही, एक बार और सही।
    अब आपको बताते हैं इस घनघोर धांधली और घपलेबाजी में एलडीए के कई अधिकारी एवं ठेकेदार तो पैसा बटोर ही रहे हैं, जिसकी शिकायत लखनऊ मंडलायुक्त रोशन जैकब को भी दी गई, एलडीए वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी को भी दी गई, नगर निगम के अपर नगर आयुक्त को भी बताया गया, पर परिणाम यह निकला कि कोई झांकने तक नहीं आया। अब उद्घाटन होगा तो झांकने जरूर आएंगे। लापरवाही बताई जाएगी तो टरका देंगे। बीच में जेई और अभियंता भी आए लेकिन हुआ क्या ठेकेदार का जवाब था कि "मैं लाख रुपया कमाने नहीं आया करोड़ों का फायदा होगा तभी अधिकारी को दे पाऊंगा। पाइप और नगर निगम का या पम्प हाउस बनाने के लिए मैं नहीं बैठा हूं, मेरा काम था तोड़ना सड़क बनाना। इसके आगे मैं किसी को नहीं जानता।" यानी इन्हें जनता से कोई प्रेम नहीं है यह कार्य सिर्फ पैसों के लिए कर रहे हैं। इनके अंदर में भावना नहीं है। एलडीए के अंदर तो होनी चाहिए लेकिन एलडीए के अंदर भी नहीं है। नगर निगम को चिंता होनी चाहिए कि आगे चलकर यह समस्या उनकी परेशानी बढ़ा सकता है, लेकिन उन्हें भी कोई परेशानी नहीं दिख रही है। मंडलायुक्त को तो फुर्सत नहीं है। बार-बार शिकायत करने पर और लिखित शिकायत देने पर भी मंडलायुक्त जांच तो छोड़िए, किसी विभाग को इस पर नजर डालने के लिए भी नहीं कह पाईं। यदि अगर शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय तक भी पहुंचती है तो जवाब एक ही आएगा प्रधानमंत्री आ रहे हैं उद्घाटन करने, तो कार्य में बाधा क्यों डाली जाए। इसका मतलब हुआ योगी सरकार को जनता से कोई प्रेम नहीं है, सिर्फ प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन कराना ही योगी सरकार का कर्तव्य है। एलडीए सज्जादबाग एवं आसपास के क्षेत्र के लोगों के साथ खिलवाड़ तो करने जा ही रहा है। आपको बता दें सर कटा नाला पम्प हाउस की बुनियाद नाले पर टिकी थी, तो सोचिए सड़क की बुनियाद भी नाले पर ही हुई। आने वाले समय पर अगर सड़क ध्वस्त हो जाती है, तो क्या होगा, सड़क नाले में बैठ जाएगी एक बड़ा हादसा हो जाएगा। मुख्यमंत्री राहत दे देंगे। लेकिन जिंदगी वापस नहीं आ सकती। योगी सरकार बड़े हादसे को टाला नहीं चाहती, क्योंकि प्रधानमंत्री उद्घाटन करने आ रहे हैं इस सड़क की। उत्तर प्रदेश सरकार को मक्खन लगाने का एक और मौका मिल रहा है। सड़क चौड़ाई करके एलडीए एवं उत्तर प्रदेश प्रशासन के साथ-साथ ठेकेदारों की जब इतनी भर गई है, कि उन्हें कुछ दिखाई तक नहीं दे रहा। शिकायत करने पर जवाब कुछ नहीं आने वाला। हादसा का जिम्मेदार कौन होगा? किसे ठहराया जाएगा? जबकि शिकायत मंडलायुक्त से लेकर एलडीए और नगर निगम सभी से की गई। तो आने वाले कोई भी बड़ा हादसा चाहे वह सड़क से संबंधित हो, चाहे वह नाले से संबंधित हो, गंदगी से संबंधित हो, बीमारी से संबंधित हो या सड़क ध्वस्त होने से संबंधित होगा तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?

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