प्रयागराज खाक चौक स्थित सेक्टर 2 में उत्तराखंड पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी कृष्णाचार्य महाराज के शिविर में "ढोल गंवार शूद्र पशु नारी सकल ताड़ना के अधिकारी" विषय पर संत सम्मेलन का आयोजन पूज्य स्वामीजी की ही अध्यक्षता में किया गया जिसमें देशभर से पधारे संतों के बीच उन्होंने कहा कि कलि पावनावतार गोस्वामी तुलसीदास जी ने उक्त चौपाई नही कही वरन समुद्र लंघन के समय समुद्र ने उक्त चौपाई कही थी जबकि रावण को इसके पहले ही मूर्ख कह दिया गया। धर्म के बारे मे लेशमात्र ज्ञान न रखने वाले लोग ही ऐसे सवाल उठा रहे हैं और अर्थ का अनर्थ करके पेश कर रहे हैं भारतीय सनातन संस्कृति में भगवान ने स्वयं कछुआ, वाराह, मछली नरसिंह आदि का अवतार लेकर तो मात्र को पूज्य बनाया है फिर अपमान की कैसी बात। यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता। जैसे वेद वाक्य स्पष्ट करते हैं कि भारतीय संस्कृति में किसी का अपमान नहीं वरन भटके हुए लोगों को सद्मार्ग में लगाने के लिए सुधार के उपाय बताए गए हैं उन्होंने कहा कि भागवतपाद रामानुजाचार्य बुढ़ापे में ब्राह्मणों के कंधे पर हाथ रख कावेरी स्नान करने जाते थे जबकि लौटते थे तो चतुर्थ वर्णी दशरथी के ऊपर हाथ रख कर लौटते थे। जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी घनश्याम आचार्य ने कहा कि भागवत पाठ रामानुजाचार्य ने रामानुज स्वामी से बड़ा पतितोद्धारक दूसरा कोई नहीं।
वहीं दूसरी ओर विंध्य में जनसंघ के संस्थापक तथा लोकतंत्र सेनानी नाड़ी विशेषज्ञ सरयू प्रसाद वैद्य का साल ओढ़ाकर अभिनंदन पत्र भेंटकर संत समाज की ओर से अभिनंदन करते हुए उनके आयुर्वेद ज्ञान व राष्ट्र वसमाज सेवा के लिए उन्हें पद में विभूषण या भारतरत्न से सम्मानित करने की मांग भी भारत सरकार से की गई। ऋषिकेश उत्तराखंड के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर के महंत विद्या वाचस्पति की उपाधि से विभूषित डॉ रामेश्वर दास जी महाराज ने भी विशिष्ट अतीत के रूप में उपस्थित होकर कहा जिस प्रकार से रामचरितमानस जैसे ग पर धर्म के बारे में लेस मात्रा ज्ञान न रखने वाले लोग सवाल खड़े करते हैं वह चिंता का विषय है उल्लेखनीय है कि सम्मेलन में उपस्थित समस्त जगतगुरु महामंडलेश्वर संत महंतो का श्रीकृष्ण कुंज सेवा समिति की ओर से बहुमान किया गया।
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