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शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2024

स्वरूप रानी अस्पताल में नशा मुक्ति केंद्र एवं उपचार का उद्घाटन

प्रयागराज। मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग में आज नशा मुक्ति उपचार केंद्र का उद्घाटन किया गया !जिसमेंडॉक्टर वीरेंद्र कुमार  सामाजिक न्याय और अधिकारिकता मंत्री भारत सरकार के कर कमल द्वारा वर्चुअल माध्यम से संपन्न हुआ !कार्यक्रम में कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉक्टर एसपी सिंह,विभाग अध्यक्ष डॉ  वी के सिंह,नोडल अधिकारी डॉ अनुराग वर्मा,एडीएम राजेश सिंह डॉक्टर अभिनव टंडन डॉक्टर अभिषेक प्रताप सिंह डॉक्टर कमलेश सोनकर और कोऑर्डिनेटर सोशल जस्टिस मिनिस्ट्री एंड एंपावरमेंट केंद्र सरकार प्रतिनिधि रिया यादव उपस्थित रहे।,प्रधानाचार्य एवं नोडल अधिकारी डॉ अनुराग वर्मा ने शिक्षा पाठ्यक्रम में मादक पदार्थों की लत इसके प्रभाव और नशा मुक्ति पर भीअध्याय शामिल होने की बात कही। अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष एवं सामाजिक कार्यकर्ता लालू मित्तल ने जनपद प्रयागराज के लिए इसे बहुत उपयोगी बताया, बढ़ता हुआ नशे की लत सामाजिक एवं आर्थिक रूप से व्यक्ति का सर्वनाश कर देती है ,उचित काउंसलिंग परामर्श ही इसका सबसे उपयोगी इलाज है !
नशे की लत / मादक पदार्थों को लत एक वैश्विक  स्वास्थ्य समस्या है। 2023 WORLD DRUG REPORT के अनुसार विश्वभर में नशीले पदार्थ लेने वालों को संस्था लगभग 30 करोड़ है। इस संख्या में विगत  10 वर्षों में  23%, इजाफा हुआ है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर (एनडीडीटीसी) के 2019 सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में तंबाकू के बाद शराब सबसे आम (लत वाला) पदार्थ है, इसके बाद ओपिओइड और कैनबिस हैं। अनुमान है कि भारत में लगभग 7.21 करोड़ लोग नशीली दवाओं से प्रभावित हैं।
नशा उपयोग विकार कई कारणों से हो सकता है जिसमें अनुवांशिक,पर्यावरण तनाव,सामाजिक दबाव ,व्यतिगत व्यक्तित्व विशेषताएं और मनोरोग संबंधित समस्याएं शामिल हैं l
मादक पदार्थों के उपयोग का विकार एक ऐसा मुद्दा है जो देश के सामाजिक ताने-बाने पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। किसी भी मादक पदार्थ पर निर्भरता न केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है बल्कि उनके परिवारों और पूरे समाज को भी प्रभावित करती है।कुछ मादक पदार्थ  से  मस्तिष्क विकार, हृदय रोग, दुर्घटना और हिंसक प्रवृत्ति हो सकती है। इसलिए, मादक पदार्थ के उपयोग और निर्भरता को एक मनो- सामाजिक-चिकित्सीय समस्या के रूप में देखने की आवश्यकता है।इसका इलाज दवाइयों के साथ काउंसलिंग द्वारा किया जाता है।
व्यसन को चरित्र दोष के रूप में नहीं बल्कि एक बीमारी के रूप में देखा जाना चाहिये। साथ ही  नशीली दवाओं के सेवन से जुड़े कलंक (Stigma) को समाप्त करने की ज़रूरत है। समाज को यह समझने की भी ज़रूरत है कि नशा करने वाले अपराधी नहीं बल्कि पीड़ित होते हैं। सभी व्यापार मंडल, सामाजिक संस्थाओं लायंस, रोटरी, इनर व्हील जैसे क्लब व अन्य एजेंसियों के सम्मिलित और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता होगी।

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