● डायोसिस ऑफ लखनऊ के बिशप की छवि धूमिल करने की कोशिश में जुटे विरोधी। भ्रामक प्रचार करने से फ़र्क़ नहीं पड़ता। दिखता है काम।
प्रयागराज। डायोसिस ऑफ लखनऊ चर्च ऑफ़ नॉर्थ इंडिया (सीएनआई) के बिशप मोरिस एडगर दान के विरोधी इन दिनो उनके कामों को देखकर घबरा गये हैं और लगातार उनकी झूठी आलोचना करने में लगे हैं और तो और उनके लिए भ्रामक प्रचार भी कर रहे हैं जो कि एक तुच्छ स्तर की राजनीति है।बिशप दान पार्ट 2 की टीम
लगातार वो कार्य कर रही है जो पिछले कई वर्षों में नहीं किया गया। आज हर कोई बिशप से जा कर मिल सकता है और उनको अपनी परेशानियाँ भी बता सकता है जो कि निष्कासित बिशप पीटर बलदेव के कार्यकाल में कभी नहीं हुआ।ज़ाहिर है कि चीज़ो को ख़राब करने में अधिक समय नहीं लगता पर बनने में थोड़ा समय लगता है पर बिशप मोरिस एडगर दान ने तनावपूर्ण स्थित के विपरीत वह कर दिखाया जो कभी नहीं हुआ।
सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार कुछ प्रिन्सिपल बिशप मोरिस एडगर दान से बेहद नाराज़ हैं और हो भी क्यों ना क्योंकि अब उनकी जेबें भरने में काफ़ी दिक्कते आ रही हैं और इन सबसे झुनझुला कर अब वे लोग लोकल सोशल मीडिया न्यूज़ विशेषकर गोरखपुर एक्सप्रेस के द्वारा मोटी रकम देकर भ्रामक प्रचार कराने में जुटे हैं । विरोधी शायद यह नहीं जानते कि आलोचना में भी प्रसिद्धि छिपी होती है और इस प्रकार के भ्रामक *प्रचार से बिशप मोरिस एडगर दान टाइगर को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। और जिसको फ़र्क़ पड़ता है उसकी रातों की नींद हराम हो चुकी है। बिशप मोरिस एडगर दान और प्रिंसिपल राकेश छत्री को हर स्थित से निपटना बखूबी आता है।शेर के बच्चे को शिकार करना नहीं सिखाया जाता है। बिशप दान के चर्च की कलीसिया तथा समस्त कर्मचारी सभी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तथा अधिकारी भी खुश है कार्यालय 6 सरोजिनी नायडू मार्ग मैं किसी भी प्रकार का विधिक सलाहकार ने कब्जा नहीं किया है वहां पर रंगाई पुताई तथा सफाई का कार्य जारी है वहां पर बाइबल बेचने की पुष्टि भी अभी नहीं हो पाई है की किस कबाड़ी को बेचा गया है फिलहाल वहां बाइबल नहीं रखी हुई है.
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