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शनिवार, 17 फ़रवरी 2024

काव्य कलिका : आती है.. हर साल परीक्षा, लगती क्यों! विकराल परीक्षा ?

"परीक्षा"
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आती है..  हर साल परीक्षा
लगती क्यों!विकराल परीक्षा
यदि मेहनत से नहीं पढ़ोगे
कल खींचेगी खाल, परीक्षा
पढ़ना छोड़ घूमते जो भी
करे नियंत्रित चाल परीक्षा
जो भी पढ़ते मनोयोग से
उन सबके चूमें गाल परीक्षा
तैयारी के बिना गए यदि
तो गलने न दे दाल परीक्षा
पढ़ने वालों का बढ़ स्वागत
करती भर मोती थाल परीक्षा
अगर ध्यान से नहीं पढ़ा तो
उलझोगे, है जाल परीक्षा
✍🏻 रामG
राम मोहन गुप्त 'अमर'

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