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शनिवार, 10 फ़रवरी 2024

दिल्ली / मील का पत्थर है डॉ. मेघल का नया शाहकार

नई दिल्ली। देश से विदेशों तक अपने शब्दों और आवाज़ का जादू बिखेरने वाली डॉ.मेघा भारती मेघल का नया शाहकार भी कम जादुई नहीं है। मुम्बई शहर के आला दर्जे के कार्यक्रमों में छाई रहने वालीं, डॉ.मेघा भारती एक जाना माना नाम हैं। कई खिताबों से नवाज़ी गईं ‘मैगा स्टार एम.बी.एम’ के नाम से भी प्रसिद्ध, डॉ.मेघल, संगीत और साहित्य के क्षेत्र में कई बार विश्व पटल पर अपने नाम का परचम लहरा चुकीं हैं। 
उनके स्टाइल स्टेटमेंट और बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें ‘स्टाइल आइकॉन’ का ये लोकप्रिय मक़ाम दिलवाया है। और उनका ये विशिष्ट स्टाइल उनके इस नए प्रयोग ‘डियर सुआ’ में भी साफ दिखाई पड़ रहा है।हमेशा लीक से हटकर, कुछ नया करने के लिए जानी जाने वाली मैगास्टार एम.बी.एम ने अपनी इस छवि को और मज़बूत करते हुए अपना नया गीत ‘डियर सुआ’ रिलीज़ किया है। ओ लौंडा मोहना सुआ दिल तू मेरो लैजा, तेरी गोरी मुखड़ी सुआ इक बारी दिखै जा, सुन मोहना, सुन मोहना इस गीत का मुखड़ा ही गीत के विषय को स्पष्ट कर देता है।हिन्दी, अंग्रेज़ी और पहाड़ी, इन तीन भाषाओं का प्रयोग करके, ये प्रेम गीत मेघल ने विश्वभर में फैले अपने प्रशंसकों को वेलेंटाइन्स पर तोहफे के रुप में प्रस्तुत किया है।इतनी भाषाओं का प्रयोग एक ही गीत में करने के बारे में, मेघल कहती हैं – ‘ग्लोबल अप्रोच मेरा लक्ष्य रहा है हमेशा, तो इसलिए भाषा और संगीत के साथ ऐसे प्रयोग करते रहना मैं अपना फ़र्ज़ समझती हूं। इससे आपके राज्य और देश को तो फ़ायदा होता ही है, साथ ही वर्ल्ड कल्चर और हेरिटेज में भी आप कुछ योगदान दे पाते हैं। मेरी कई कविताओं, कहानियों और लेखों का अनुवाद विभिन्न देशों की भाषाओं में हो चुका है। ये भी एक वजह है कि मुझे ग्लोबल लैवल पर कुछ काम करने का मोटिवेशन मिलता रहता है। मैं अपनी किसी भी रचना को एक सीमित दायरे में नहीं रखना चाहती।विश्वस्तर पर मेघल सुन्दर कार्य कर रहीं हैं और अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अपनी खास जगह बना चुकीं हैं। अमेरिका और यूक्रेन जैसे देशों द्वारा उन्हें सम्मनित भी किया जा चुका है। एक अंतर्राष्ट्रीय सेलिब्रिटी का दर्जा उन्हें हासिल है। डॉ.मेघल को ‘प्रथम अन्वेषक’ यानि ‘पायनियर’ भी कहा जाता है क्योंकि हमेशा कुछ नया सबसे पहले कर दूसरों के लिए एक नया रास्ता बनाकर देना उनकी आदत में शामिल है। फिर चाहे वो किसी फ़िल्म या एल्बम में उनका कोई गीत हो, उनकी कोई पुस्तक हो या मंच और टेलीविज़न पर उनका कोई कार्यक्रम हो।इससे पहले भी डॉ.मेघल उत्तराखंड के संगीत जगत में नए-नए प्रयोग कर चुकीं हैं। अपने विद्यार्थी जीवन के दौरान ‘पहाड़ी पॉप म्यूज़िक’ को भी इन्होंने ही जन्म दिया। इसके अलावा भी कई ऐतिहासिक उपलब्धियाँ इन्होंने अब तक  हासिल की हैं। पहली बार राज्य में स्टार नाईट का आयोजन भी मेघल के नाम से ही शुरू हुआ {मेघा भारती नाइट}। वे उत्तराखण्ड की प्रथम और एकमात्र महिला गीतकार, कंपोजर, संगीतकार एवं गायिका हैं। वे उत्तराखंड की सर्वप्रथम महिला गायिका हैं जिनके सोलो एल्बम मार्केट में आए। अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल्स में भी फ़िल्म में मेघल के लिखे और कंपोज़ किए गीतों ने खासी प्रशंसा लूटी है। मेघल को सर्वश्रेष्ठ गीतकार का सम्मान भी प्राप्त है। इनके लिखे एवं कम्पोज किये गीतों को हिन्दी फिल्म गायिका साधना सरगम ने भी स्वर दिया है।अपनी उपलब्धियों के लिए इन्हें बहुत ही कम उम्र से कई राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। कई खिताबों से भी ये नवाजी गईं हैं। जैसे कि – ‘ग़ज़ल शहज़ादी’, ‘यूथ आइकॉन’, ‘क्वीन ऑफ कुमाऊँ’, ‘यू.के. सुपरस्टार रॉकस्टार’, ‘सर्वश्रेष्ठ गीतकार’, ‘मैगा स्टार एमबीएम’, ‘ऑल इन वन एंबैसेडर’, ‘हिन्दी काव्य रत्न अवॉर्ड’, ‘उत्तराखंड की शान, उत्तराखंड की पहचान’ ‘श्री अटल बिहारी बाजपाई वूमेन अचीवर अवार्ड’ इत्यादि। सही मायने में संगीत, कला और साहित्य की ‘ऑल इन वन ब्रान्ड एंबैसेडर’ बन चुकी हैं मेघल। देश से विदेश तक इनकी बहुमुखी प्रतिभा के प्रशंसक फैले हुए हैं। कड़ी मेहनत ने उन्हें उनके सपनों का ये मकाम दिलवाया है। वे उत्तराखंड, मुम्बई या भारत में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय पटल पर भी एक जाना माना नाम हैं।
डॉ.मेघल अंग्रेज़ी में पी.एच.डी. हैं। कई पुस्तकें भी इन्होंने लिखी हैं। शोध एवं रिसर्च के क्षेत्र में डॉ.मेघल को शोध कर्ताओं द्वारा पुस्तकों और रिसर्च पेपर्स में कोट किया जाता है और संगीत के क्षेत्र में भी कई कलाकार इनको फ़ॉलो करते हैं। उन सभी के लिए भी ये गीत एक तोहफ़े से कम नहीं।
‘डियर सुआ’ के साथ मेघल ने उत्तराखंड की पारम्परिक संगीत पद्धतियों को पाश्चात्य संगीत के Rap रैप से जोड़कर, ये सुंदर गीत तैयार किया है। ये गीत उत्तराखंडी संगीत जगत में एक मील का पत्थर साबित हुआ है। और आने वाले कलाकारों के लिए एक उदाहरण भी है। पहाड़ी संगीत की दुनिया में ये पहला गीत है जिसमें लोक संगीत और पाश्चात्य संगीत का मेल इस ख़ास रूप में देखा जा रहा है।पहाड़ी ‘न्यौली’ और ‘रैप’ से प्रेरित होकर ये गीत मेघल ने रचा है। मेघल इस गीत की कंपोजर, संगीतकार,गीतकार ही नहीं बल्कि गायिका और अभिनेत्री भी हैं। इन पद्धतियों से रचा गया ये आज तक का पहला गीत है। इसी गीत से मेघल रैप गायन की दुनिया में भी कदम रख रहीं हैं। जहाँ उत्तराखंडी गीतों में रैप गीत पुरुषों द्वारा गाए जा रहे हैं, वहां एक बार फिर अपनी बहुमुखी प्रतिभा का परिचय देते हुए, मेघल एक रैप गायिका के रूप में भी अपना परचम लहरा रही हैं।इन सभी विशिष्टताओं के चलते, ये गीत ऐतिहासिक है और उत्तराखंडी लोक संगीत की एक ख़ास पद्धति और पाश्चात्य संगीत के रैप का अनोखा उदाहरण बन गया है।इस गीत पर लम्बे अरसे से काम कर रहीं थीं डॉ.मेघल। इस बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि इस गीत पर काम करना उनके लिए एक बहुत बड़ी चुनौती रही क्योंकि दो बिल्कुल ही अलग तरीके की संगीत शैली को इस तरह तैयार करना कि वे एक ही गीत बन जाए, गीत भी ऐसा कि दोनों शैली के मूल भाव और मधुरता भी बनी रहे। बेहद मुश्किल था। लेकिन वे खुश हैं कि लम्बे अर्से बाद ही सही उनका ये प्रयोग सफ़ल हुआ। अपने इस ऐतिहासिक शाहकार के साथ, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रों में उन्हें कोट करने वाले और उनके व्यक्तिव एवम कार्यों पर शोध करने वाले सभी को एक बार फ़िर सही साबित कर दिया है ‘उत्तराखंड की शान, उत्तराखंड की पहचान’ डॉ. मेघा भारती ने।

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