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गुरुवार, 8 फ़रवरी 2024

बांकेगंज ( खीरी) / 25 दिन से बेटे की तालाश में दर दर भटक रहा पिता

धर्मवीर गुप्ता,  संवाददाता, बांकेगंज। चौदह वर्षीय सर्वजीत पाल का 25 दिन बाद भी पता नहीं चल पाया है। इस दौरान पुलिस ने महज खानापूर्ति में समय बिताया तो बेटे की राह देखते परिजन की आंखें थक कर सूख  गई है। अब उन्हें अपने इकलौते पुत्र के मिलने की संभावना क्षीण हो गई है। पुलिस के प्रति उसके पिता का रवैया निराशा पैदा करने वाला है। उसे यहां तक नहीं पता है कि मामले की रिपोर्ट दर्ज हुई है अथवा नहीं।
     मैलानी थाना क्षेत्र के बांकेगंज पुलिस चौकी के अंतर्गत दौलतपुर गांव का निवासी सर्वजीत पाल पुत्र आसाराम जो कि जानकी देवी इंटर कॉलेज के सातवीं का छात्र है, गत 13 जनवरी को बाजार से सब्जी लाने गया था। तब से लौट कर घर नहीं पहुंचा है। इस दौरान परिजनों ने ढूंढने के बाद बांकेगंज चौकी और उसके बाद थाना मैलानी में सूचना दी। जिसकी एक प्रति लौटते हुए उसे घर जाने को कहा गया था। वह अहस्ताक्षरित प्रार्थना पत्र की प्रति को ही अब तक रिपोर्ट कॉपी मान रहा है। 
      थाना मैलानी की पुलिस चौकी बांकेगंज के प्रभारी कृष्ण पाल ने माना के मामले की जानकारी है और उसकी तलाश के लिए किशोर की फोटो और विवरण को सार्वजनिक स्थलों पर चस्पा कराया गया है। अब तक कहीं से कोई सूचना नहीं मिली है जबकि थाना अध्यक्ष मैलानी ने इसी बात की दोहराते हुए कहा की प्रदेश के कई शहरों के रेलवे स्टेशन और सार्वजनिक स्थलों पर पोस्टर चिपकाए गए हैं। यह अलग बात है कि इस कार्यवाही के अलावा और बिंदुओं अथवा पहलुओं की जांच की क्या स्थिति है वह मौन है
    सर्वजीत के पिता आसाराम और उनकी पत्नी को अब सर्वजीत के मिलने की आशा कम हो चली है। डबडबाई आंखों से अपनी दोनों बेटियों को गले लगा कर कहते हैं कि अब यही बची हैं भगवान जाने अब हमारा पुत्र कहां किस हालत में है अथवा नहीं भी है। पुलिस प्रशासन के रवैए के प्रति वे बहुत आशावान नहीं है। निराशा में वह कहते हैं हम कोई बड़े आदमी नहीं है जिनके लिए पुलिस पुत्र को ढूंढने में विशेष प्रयत्न करें। पुलिस का शुरू से रवैया ही ऐसा रहा है कि उनकी यह धारणा बनी है। वह महज रस्म अदायगी तक सीमित है। इकलौते पुत्र को खोने का गम परिवार के बाकी सदस्यों के चेहरे से भी झलकता है। उसकी बहने रो रो कर परेशान है। हर आने जाने वाले से पूछती हैं कि कहीं उन्होंने सर्वजीत को देखा है या सहानुभूति के दो बोल बोलने वाले से वे मदद को गुहार लगाती हैं कि कोई उन्हें कप्तान साहब को प्रार्थना पत्र बना दे हो सकता है बड़े अफसर का मन कुछ पसीजे और उनके लखते जिगर सर्वजीत को ढूंढने को पुलिस महकमा कुछ सक्रिय हो। 
   वही रंजिश दुश्मनी की बाबत आसाराम का कहना है मुझ गरीब की किसी से कैसी रंजिश और दुश्मनी जो उनके पुत्र के प्रति खतरा बने। उन्हें तो कुछ समझ नहीं आ रहा। काम के लिए किसी दूसरे प्रांत में जाने की बात पूछने पर कहते हैं अभी तो वह छोटा है उसका कहना जरूर रहा है कि वह बड़े होकर काम करके घर की हालत सुधारने में सहयोग करेगा ताकि बहनों का कुछ भला हो सके। बोलते बोलते उसका गला रूंध जाता है और वह हाथ जोड़कर पत्र प्रतिनिधि से गुहार लगाते हैं कि अब आप ही लोग कुछ करें हो सकता है कोई चमत्कार हो जाए।
    मैलानी थानाध्यक्ष पंकज त्रिपाठी ने बताया कि उक्त संदर्भ में एफआई आर दर्ज की जा चुकी है। लखनऊ कानपुर और अन्य कई जगहों पर गुमशुदगी के संदर्भ में पोस्टर लगाये जा चुके अन्य माध्यमों से भी जानकारी प्राप्त की जा रही है।

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