बस्ती दुबौलिया पांच सौ साल के संघर्ष के बाद अब अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के उद्घाटन से कारसेवकों का उत्साह देखते ही बन रहा है। पूरा जिला राममय होता देख कारसेवक काफी गदगद है।हालांकि, राम मंदिर के लिए गोलियां खाने वालों को अभी तक निमंत्रण नहीं मिला है। इसके बावजूद वे मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर काफी उत्साहित हैं।दुबौलिया ब्लॉक के रमना तौफीर सांडपुर के लोग 22 अक्टूबर 1990 को पुलिस और कारसेवकों के बीच हुए संघर्ष की दास्तां बताते हैं। विश्व हिंदू परिषद के आवाह्न पर अयोध्या चलो कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए रमना तौफीर में कारसेवक एकत्रित हुए थे। इनके लिए स्थानीय लोग भोजन का प्रबंध कर रहे थे। इसकी भनक पुलिस को लग गई कि रमना तौफीर में सांडपुर, छपिया मलिक, बरदिया कुंवर व टेढवा के ग्रामीण कारसेवकों के आवाभगत में लगे थे। सभी कारसेवक नाव से सरयू नदी पारकर अयोध्या जाने की तैयारी कर रहे हैं। बड़ी संख्या में पहुंची पुलिस सांडपुर के कुछ लोगों को थाने ले जाने लगी, तभी ग्रामीणों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। इसमें पुलिस से झड़प भी हुई। तब पुलिस ने निहत्थे लोगों पर गोली दाग दी। घटना में दो कारसेवकों सांडपुर के सत्यवान सिंह व हेंगापुर के रामचंद्र यादव की मौत हो गई थी। शहीद कारसेवक सत्यवान सिंह के भाई सत्य प्रकाश सिंह ने बताया कि राममंदिर का सपना साकार हो रहा है। लेकिन अभी तक प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए निमंत्रण नहीं मिला है। सांडपुर गांव निवासी महेंद्र पाल सिंह (79 वर्ष) के दाहिने हाथ में गोली लगी थी। बताते हैं, हमारे प्रभू को घर मिल गया है। राम मंदिर अब साकार रूप ले चुका है। निमंत्रण नहीं मिला तो क्या हुआ हम 22 जनवरी को उत्सव मनाएंगे। गोलीकांड में घायल हुए कारसेवक जयराज यादव की करीब चार महीने पहले मौत हो गई है।
शनिवार, 6 जनवरी 2024
राम मंदिर के लिए गोलियां खाने वाले कारसेवकों के परिजनोें को नहीं मिला निमंत्रण
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