● देवरहा बाबा जिनके दर्शन के लिए राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री भी कभी पहुंचे थे 33 वर्ष पहले की गई उनकी भविष्यवाणी आज हुई है सच
प्रयागराज। राम मंदिर का निर्माण कायदे से होगा, सबके सहयोग से होगा' 33 वर्ष पहले की गई ये भविष्यवाणी आज सच हो गयी है. अयोध्या में भव्य राम लला के मन्दिर निर्माण का कार्य जारी है. यह बात राम मंदिर आंदोलन से पहले ही सिद्ध संत 'देवरहा बाबा' ने कह दी थी. उनके दर्शन के लिए प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति व ब्रिटिश शासक भी जाया करते थे. इनकी कहानी चमत्कारिक किस्सों के रहस्यों से भरी हुई है. 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के निमंत्रण पत्र के साथ मिली बुकलेट में सिद्ध संत की तस्वीर छपी हुई है."22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होना है. जिसको लेकर देश और दुनिया के लोग सभी इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. राम मंदिर आंदोलन के इतिहास में कई साधू-सन्यासी जुड़े रहे. एक ऐसे संत भी थे, जिन्हें कहा जाता था कि वे मन की बात को पहले ही समझ जाया करते थे. उनकी कही गयी बात कभी गलत साबित नहीं हुई. ऐसे दिव्य संत कौन थे, आखिर देश-विदेश व राजनेता व राजघराने के लोग उनकी दर पर मत्था टेकने क्यो जाते थे. उन्होंने राम मंदिर को लेकर क्या कहा था और उनके चमत्कारिक किस्से क्या है यह भी इस लेख के जरिये नीचे जानेंगे."
"22 जनवरी 2024 को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है. निमंत्रण पत्र के साथ मिली एक पुस्तक में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े महत्वपूर्ण शख्सियतो की तस्वीरे छपी हुई है. सबसे पहले एक तस्वीर वह छपी है जिन्होंने राम मंदिर निर्माण को लेकर 33 वर्ष पहले ही बड़ी भविष्यवाणी कर दी थी, जो सच साबित हुई. प्रसिद्ध सिद्ध संत 'देवरहा बाबा' थे, जिनके अनुयायी इन्हें भगवान का स्वरूप मानते थे.दुबला-पतला शरीर, लंबी दाढ़ी, मृग छाल पहने रहने वाले बाबा सरयू नदी किनारे अपने आश्रम में 12 फुट ऊंची मचान पर साधना करते थे. वे मचान से पैर लटकाकर भक्तों को आशीर्वाद देते थे. देवरहा बाबा के जन्म और मृत्यु के सबके अपने अलग-अलग मत हैं. कोई कहता है कि वे 250 वर्ष जिए तो कोई 500 वर्ष बताता है. हालांकि कोई 900 वर्ष भी कहता है. देवरहा बाबा पर राजनेताओं की बड़ी आस्था थी.बाबा बहुत ही सीधे, सरल उनका स्वाभाव था. पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, राष्ट्रपति डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद, ब्रिटिश शासक जार्ज पंचम भी इनके दर्शन के लिए जाते रहे. दरअसल ऐसा कहा जाता है कि देवरिया जिले से देवरहा बाबा आते हैं जिसके बाद इनका नाम देवरहा बाबा पड़ गया. देवरहा बाबा केवल दूध और शहद ही लेते थे अन्न कभी ग्रहण नहीं किया. पानी में 30 मिनट तक सांस रोके रह सकते थे. कोई भी भक्त उनसे आशीर्वाद लेने पहुंचता तो वे मचान से ही अपने पैर उनके सिर पर रख देते थे.यही नहीं उनके चमत्कारिक किस्सों की गूंज आज तक बनी हुई है. इंदिरा जी उनके दर्शन कर हमेशा प्रसन्नता व्यक्त करती थीं. एक बार वे बाबा के दर्शन के लिए पहुंची थीं बाबा ने उन्हें हाथ दिखाकर आशीर्वाद दिया. आगामी चुनाव में इंदिरा जी ने इसे पार्टी का चुनाव चिन्ह बना लिया. 1980 में कांग्रेस प्रचंड बहुमत से जीतकर इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं थीं. देवरहा बाबा भक्तों के मन की बात जान लिया करते थे. यही नहीं प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद भी एक बार बचपन मे पिता के साथ इनके दर्शन के लिए पहुंचे थे. बाबा ने कहा था ये बच्चा तो एक दिन राजा बनेगा. देश के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने बाबा को पत्र लिखकर धन्यवाद कहा. कुम्भ में बाबा का पूजन किया था. ऐसे कई किस्से उनके रहे हैं. राम मंदिर आंदोलन में उनकी बड़ी भूमिका थी. 33 वर्ष पहले उन्होंने कहा था कि 'राम मंदिर का निर्माण अवश्य होगा, और सबके सहयोग से होगा' यह बात सच साबित हुई. 22 जनवरी को राम लला की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में होनी है. निमंत्रण पत्र के साथ पुस्तक में देवरहा बाबा की तस्वीर छपी हुई है.बाबा की भगवान राम और कृष्ण जी पर गहरी आस्था थी. देवरिया के बाद काफी समय उनका मथुरा वृन्दावन में बीता, यमुना किनारे भी उनका आश्रम है जहां भक्त उनके दर्शन के लिए पहुंचते थे. जब उनका अंतिम समय आया तो प्रकृति का स्वरूप भी बदला. फूल मुरझा गए, काले बादल छा गए थे, वृन्दावन में 19 जून 1990 योगिनी एकादशी के दिन उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया. प्रभू राम भगवान और कृष्ण भगवान के प्रति उनकी गहरी आस्था थी. राम जी का ही अपने भक्तों को मंत्र दिया करते थे."
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Post Comments