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शुक्रवार, 1 दिसंबर 2023

लखनऊ / विश्व एड्स दिवस पर मानव श्रृंखला बनाकर आयोजित किया गया जनजागरूकता कार्यक्रम

लखनऊ। आज दिनांक 1 दिसंबर 2023 को नेशनल पीजी कॉलेज, लखनऊ में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर देवेंद्र कुमार सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाइयों के द्वारा विश्व एड्स दिवस पर जागरूकता अभियान मानव श्रृंखला बनाकर किया गया l  इस कार्यक्रम पर प्राचार्य प्रोफेसर देवेंद्र कुमार सिंह ने संदेश दिया कि एड्स जागरूकता दिवस को मनाना आवश्यक है क्योंकि एचआईवी संक्रमण वर्तमान में लाइलाज है, लेकिन इस बीमारी के बारे में अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा के साथ इसे नियंत्रित किया जा सकता है भारत में वर्ष 2019 में 58.96 हजार एड्स से संबंधित मौतें और 69.22 हजार नए एचआईवी संक्रमण सामने आए। वैश्विक स्तर पर, वर्ष 2021 में, 14.6 लाख लोगों (13 लाख वयस्कों और 15 वर्ष से कम उम्र के 1.6 लाख बच्चों) को एचआईवी (नए मामले) प्राप्त हुए, यह बीमारी घातक है, क्योंकि उसी वर्ष (2021) में 6.5 लाख एचआईवी रोगियों की मृत्यु हो गई। एचआईवी वायरस से संबंधित जागरूकता अति आवश्यक है इसी से स्वस्थ भारत का निर्माण हो सकता है। महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर राकेश जैन ने कहा कि कोविड-19 की वैक्सीनेशन के समय  लापरवाही की वजह से सबसे ज्यादा संक्रमण हुए हैं l सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर अर्चना सिंह ने छात्रों को बताया की यह दिन लोगों के बीच HIV संक्रमण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष 2023 विश्व एड्स दिवस की थीम है " समुदायों को नेतृत्व करने दें!" का उद्देश्य एड्स से प्रभावित समुदायों को नेतृत्व करने की भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करना है। सबसे पहले 1920 में यह बीमारी अफ्रीका के कॉन्गो की राजधानी किंशासा में फैली। 1959 में कांगो के एक बीमार आदमी के खून के नमूने में सबसे पहले HIV वायरस मिला था। माना जाता है कि वह पहला HIV संक्रमित व्यक्ति था। इस बीमारी में शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर होने की वजह से शरीर बीमारियों से बचाव नहीं कर पाता है। यह HIV वायरस से इन्फेक्शन की वजह से होता है। सबसे पहली बार, वर्ल्ड एड्स डे 01 दिसंबर, 1988 को मनाया गया था। इसका मुख्य कारण असुरक्षित यौन संबंध बनाना, एक ही इंजेक्शन का कई लोगों में प्रयोग करना, इत्यादि है।सामान्य जांच में एड्स के संक्रमण में आने के तीन माह बाद टेस्ट करने पर ही एचआईवी रिपोर्ट आती है। इससे बचने के लिए सदैव जागरूक रहे एवं कोई भी जोखिम भरा कार्य न करें । अगर एचआईवी एड्स में विकसित हो जाता है, तो एंटीरेट्रोवाइरल दवा अक्सर प्रभावी होती है l  समस्त छात्र -छात्राओं एवं महाविद्यालय की लाइब्रेरियन श्रीमती सुमन त्रिपाठी ने  बहुत ही उत्साह पूर्वक सहभागिता की l कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर अर्चना सिंह एवं डॉक्टर प्रणति मिश्रा के द्वारा किया गया।  प्रतिभागियों की संख्या- 70 रही।

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