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मंगलवार, 21 नवंबर 2023

महिलाओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर किया छठ व्रत का पारण

प्रयागराज के संगम पर कार्तिक शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि पर  सुबह महिलाओं ने डाला छठ व्रत का विधिवत पारण किया। महिलाएं भोर में हाथों में कोसी लेकर ढोल-ताशा के साथ संगम समेत दूसरे गंगा और यमुना घाटों पर पहुंचीं। वहां अपनी बेदी में पूजन करने के बाद कमर भर जल के अंदर जाकर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाओं ने मांग भराई कर अखंड सौभाग्य का आशीष लेकर ठेकुआ व खजूर खाकर और पानी पीकर व्रत खत्म किया। इस दौरान छठी मैया का जयकारा तथा गीत भी महिलाएं गाती रहीं। इससे पहले  त्याग, तपस्या, सुख व समृद्धि के महापर्व डाला छठ पर नदियों (संगम, गंगा-यमुना) के तट पर आस्था का समंदर उमड़ पड़ा था। न उम्र का बंधन, अमीरी-गरीबी की खायी से मुक्त हर कोई छठी मइया की स्तुति में लीन रहा। कार्तिक शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि पर हजारों निर्जला व्रती महिलाएं परिवार के सदस्यों के साथ घाट पर पहुंचीं थीं। उन्होंने गन्ने का मंडप बनाकर पूजन किया। पूजन के बाद महिलाओं ने एक-दूसरे को सौभाग्य के प्रतीक सिंदूर लगाया। सूर्यदेव के ओझल होने से पहले महिलाओं ने कमरभर पानी में प्रवेश किया। फिर अस्ताचलगामी (डूबते) सूर्य को अर्घ्य देकर पुत्र, परिवार और कुल के मंगल की कामना किया।

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