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शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2023

संतान की दीर्घायु के लिए आज जीवित्पुत्रिका व्रत, जानें कब से हुई इसकी शुरुआत

 आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पुत्रवती महिलाएं अपने पुत्र के दीर्घायु होने के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत करती हैं। इस वर्ष यह व्रत 6 अक्टूबर शुक्रवार को होगा। ज्योतिषाचार्य लक्ष्मन आचार्य के अनुसार यह व्रत संतान को बला एवं कष्टों से बचाता है और उनको दीर्घायु प्रदान करता है। ऐसी कथा है कि इस व्रत के प्रभाव से अमोघ अस्त्र से उत्तरा के गर्भ में पल रहे अश्वत्थामा की रक्षा हुई थी और परीक्षित को जीवनदान मिला था। तभी से यह व्रत जीवित्पुत्रिका के नाम से विख्यात हुआ।कि व्रत के दिन स्नान आदि से निवृत होकर भगवान सूर्यनारायण की प्रतिमा को स्नान करा कर गंध,पुष्प, अक्षत, धूप, दीप आदि से उनकी पूजा की जाती है। बाजरे व चने से बना भोग अर्पित किया जाता है। इस दिन स्त्रियां उड़द के कुछ साबुत दाने निगलती हैं जिसका प्रयोजन भगवान श्री कृष्ण के सूक्ष्म रूप को उदर में प्रवेश माना जाता है। कर्मकांड के विद्वान राहुल पांडेय के अनुसार इस दिन गेहूं तथा उड़द की दान का विशेष महत्व है। ब्राह्मण को भोजन भी कराया जाता है और उन्हें दान दक्षिणा देते है।व्रती महिलाएं अपने पुत्रों के गले में काले अथवा लाल रंग के रक्षा सूत्र या धागे को पहनाती है। 24 घंटे के उपवास के बाद दूसरे दिन ब्रह्म बेला में दही चूड़े का भोग लगाकर उसका कुछ भाग पशु पक्षियों को देने के बाद प्रसाद के रूप में ग्रहण करती हैं।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार जितिया में अष्टमी तिथि में नवमी तिथि नहीं मिलना चाहिए लेकिन सात अक्टूबर को ये दोनों तिथियां मिल रही हैं। इसके अलावा इस व्रत में शाम में प्रदोष काल में पूजा का विधान है, इस साल प्रदोष काल में अष्टमी तिथि छह अक्टूबर को मिल रही है, इसलिए निर्जला व्रत छह अक्टूबर को रखकर सात को पारण करना चाहिए। जितिया का पारण करने का शुभ मुहूर्त सात अक्टूबर की सुबह 10 बजकर 32 मिनट के बाद है.
छह अक्टूबर को शुक्रवार और सर्वार्थ सिद्धि योग होने से इस दिन की महत्ता और बढ़ गई है। शुक्रवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग होने से इसका प्रभाव और बढ़ जाता है। माना जाता है कि इस योग में किए गए सभी पूजा-पाठ और कार्य शुभ फलदायी होते हैं, ऐसे में छह अक्टूबर को खास संयोग बन रहा है।दरअसल, जितिया व्रत करने वाली महिलाओं को 24 घंटे का निर्जला व्रत करना होता है, जितिया व्रत के शुभ मुहूर्त के बारे में बात करें तो छह अक्टूबर को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से शुरू होगा और दोपहर 12 बजकर 33 मिनट पर खत्म होगा। अगर ब्रह्म मुहूर्त की बात की जाए तो यह सुबह 04 बजकर 38 मिनट से शुरू होगा और 05 बजकर 28 पर खत्म होगा। अष्टमी तिथि की शुरुआत छह अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 34 मिनट से होगी और समाप्ति अगले दिन सात अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर होगी।

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